नई दिल्ली: यूपी में 10वीं और 12वीं के एग्जाम चल रहे हैं लेकिन नकल पर सख्ती की वजह से लगातार छात्र परीक्षा से तौबा कर रहे हैं. आलम ये है कि बोर्ड परीक्षा के चौथे दिन ये आंकड़ा 10 लाख के पार हो गया. चार दिन में 10,44,619 परीक्षार्थियों ने बीच में ही परीक्षा छोड़ दी है. आज दसवीं क्लास की अंग्रेज़ी और बारहवीं की गणित विषय की परीक्षा थी. इस बार नकल को रोकने के लिए एग्जाम सेंटर्स पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.


तीसरे दिन तक छह लाख से ज़्यादा स्टूडेंट्स ने परीक्षा छोड़ दी थी. अफसरों का दावा है कि नकल पर सख्ती की वजह से छात्र लगातार परीक्षा से तौबा कर रहे हैं. तीसरे दिन तक परीक्षा छोड़ने वालों की संख्या बढ़कर छह लाख 33 हजार पहुंच गई. आंकड़ों के मुताबिक़ तीसरे दिन तक कुल 6,33,217 स्टूडेंट्स ने परीक्षा छोड़ दी. इनमे दसवीं क्लास के 3,79,782 और बारहवीं क्लास के 2,53,435 स्टूडेंट्स शामिल थे.


परीक्षा छोड़ने में आजमगढ़ के छात्र अव्वल


परीक्षा छोड़ने वालों में सबसे ज़्यादा आजमगढ़ जिले के स्टूडेंट्स हैं. आजमगढ़ में तीन दिनों में कुल 39 हजार से ज़्यादा छात्रों ने परीक्षा छोड़ी है. इसके अलावा देवरिया में 25 हजार, मऊ में 23 हजार और इलाहाबाद में 22 हजार स्टूडेंट्स ने ड्रॉपआउट किया है.


तीसरे दिन नकल करते पकड़े गए 182 छात्र


तीसरे दिन तक समूचे यूपी में 182 छात्रों को नकल करते हुए पकड़ा गया. तीसरे दिन बस्ती जिले में एक ऐसे स्टूडेंट को नकल करते हुए पकड़ा गया है, जिसने गले में लटकी ताबीज में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस छिपा रखी थी. इसे सीसीटीवी में कैद तस्वीरों के आधार पर पकड़ा गया है.


बोर्ड अफसरों का दावा है कि इस बार नकल बिलकुल नहीं हो रही है. जो छात्र नकल करने की कोशिश कर रहे हैं वह फौरन पकड़े जा रहे हैं. सबसे ज़्यादा मदद सीसीटीवी कैमरों से मिल रही है. यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव का कहना है कि नकल पर नकेल कसने के योगी सरकार के सख्त संदेश की वजह से इतनी बड़ी तादाद में छात्र परीक्षा देने से तौबा कर रहे हैं. यूपी बोर्ड की दसवीं और बारहवीं क्लास की परीक्षा के लिए इस बार 66 लाख 37 हजार छात्रों को एडमिट कार्ड जारी किए गए थे.


उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के अपर सचिव (प्रशासन) शिव लाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की तरह परीक्षा प्रणाली को लेकर बहुत सख्त हैं, इसलिए परीक्षा नकल विहीन हो, इसको लेकर पूरा तंत्र सक्रियता के साथ काम कर रहा है.


गौरतलब है कि साल 1992 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नकल विरोधी अध्यादेश लाए थे. इसके तहत परीक्षा में नकल को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में डाला गया था. परीक्षा में नकल करते बड़ी संख्या में पकड़े गए विद्यार्थियों को जेल भी जाना पड़ा था.