MGNREGA Scam: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा है कि वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत आने वाली वर्कसाइट की निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करेगा. मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइंस के मुताबिक इन ड्रोन्स की मदद से वर्कसाइट पर जारी कामों की मॉनिटरिंग, पूरे हो चुके काम की जांच, काम का आंकलन और शिकायत मिलने पर मामले की जांच की जाएगी.


द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण मंत्रालय ने कहा है कि मनरेगा में लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं. इनमें मजदूरों के स्थान पर मशीनों का इस्तेमाल किया जाना और बिना काम किए कुछ लोगों को वेतन मिलना शामिल हैं. ऐसे मामलों में ड्रोन सबूत जुटाने में मददगार होंगे. एसओपी में कहा गया है कि ड्रोन का इस्तेमाल लोकपाल करेगा. इसके लिए प्रत्येक जिले में एक लोकपाल तैनात किया जाएग, जो स्वत: संज्ञान लेकर शिकायतों को दर्ज करके उन्हें 30 दिनों के भीतर निपटाएगा.


लोकपाल करेगा ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
गाइडलाइंस के मुताबिक, 'शिकायतों की निगरानी और निवारण के लिए लोकपाल काम को वेरिफाई करने के लिए ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सकता है या नहीं इस बात का फैसला मंत्रालय करेगा. फिलहाल मंत्रालय ने राज्य सरकारों को आवश्यकतानुसार लोकपालों को सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया है. 


राज्य सरकारों को नहीं मिलेगा एक्स्ट्रा फंड
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ड्रोन तैनात करने के लिए राज्य सरकारों को अतिरिक्त फंड नहीं देगी. इतना ही नहीं केंद्र ने राज्य सरकार को ड्रोन खरीदने के बजाय ड्रोन एजेंसियों को हायर करने का निर्देश दिया है.


सेंट्रलाइज डैशबोर्ड बनाने का प्रस्ताव 
मंत्रालय ने डेटा विश्लेषण और रिपोर्टिंग के लिए ड्रोन से इकठ्ठा किए गए वीडियो और तस्वीरों को कलेक्ट करने के लिए एक सेंट्रलाइज डैशबोर्ड बनाने का भी प्रस्ताव रखा है. बता दें कि यह मनरेगा मजदूरों की निगरानी करने के लिए शुरू किया गया दूसरा बड़ा हस्तक्षेप है. इससे पहले केंद्र सरकार ने मजदूरों की अटेंडेस मोबाइल-बेस्ड एप्लिकेशन की मदद से लेना अनिवार्य कर दिया था.


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