केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2020-21 में अनेक बिंदुओं पर आंकड़े दिए गए हैं. इनमें सीएए से लेकर, नक्सली हिंसा में कमी, विदेशी यात्री, लॉकडाउन में पैदल यात्रा समेत अन्य कई पर आंकड़े दिए हैं. आइये देखते हैं किसमें किस बात का जिक्र है.


सीएए


सीएए 2019 में बनाया गया था लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. इसका उद्देश्य हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के उन सदस्यों को नागरिकता प्रदान करना है जिन्हें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था.


नक्सली हिंसा में कमी


साल 2013 के मुकाबले साल 2020 में देश में नक्सलियों की ओर से की जाने वाली हिंसा में 41 फीसदी और इससे होने वाली मौतों में 54 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. नक्सली हिंसा की घटनाएं काफी कमी आई है और सभी माओवादी हिंसा की घटनाओं में से 88 फीसदी केवल 30 शहरों में हुई हैं.


विदेशी यात्री


गृह मंत्रालय ने कहा है कि देश में 2020 में 32.79 लाख से अधिक विदेशियों ने भारत की यात्रा की थी. उस साल देश में कोविड महामारी के कारण लॉकडाउन और अन्य पाबंदियां लगाई गई थीं. एक अप्रैल, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 के दौरान भारत आने वाले विदेशियों में 61,000 से अधिक अमेरिकी और 4,751 पाकिस्तानी नागरिक शामिल थे. गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में बांग्लादेश से 37,774, ब्रिटेन से 33,323 और कनाडा से 13,707 लोग आए थे.


लॉकडाउन में पैदल यात्रा


केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2020-21में लॉकडाउन 2020 की बाबत सूचना देते हुए कहा गया है कि देश में अनेक जगहों पर प्रवासी मजदूरों ने अचानक प्रस्थान किया और वह लोग बड़ी संख्या में सड़क पर आ गए. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवासियों के लिए पर्याप्त प्रबंध करने के विषय में 27 मार्च 2020 को एक एडवाइजरी जारी की और फिर उसको 28 मार्च 2020 को फिर से जारी किया गया. एडवाइजरी में राज्य सरकारों को कहा गया कि रिपोर्ट के मुताबिक क्योंकि कुछ लोग राजमार्गों पर चल रहे थे अतः राजमार्गों पर टेंट के आवास स्थलों की स्थापना पर भी विचार किया जा सकता है ताकि उनको आसानी से उन आश्रय स्थलों में ले जाया जा सके. अस्थाई आश्रय स्थल स्थापित करते समय यह सावधानी रखी जाएगी वह व्यक्ति लॉकडाउन के आदेश लागू रहने तक राहत शिविरों में रुके. देशभर में 41000 राहत शिविर और आश्रय स्थल स्थापित किए गए थे वहां पर 14 लाख से अधिक लोगों को रखा गया था.


30,000 खाने के शिविर भी स्थापित किए गए थे


17 लाख मजदूर अपने मालिकों के साथ औद्योगिक परिसर में रुके हुए थे जहां उन्हें आश्रय और भोजन प्रदान किया जा रहा था. फंसे हुए प्रवासी मजदूरों और अन्य व्यक्तियों को बसों द्वारा उनके मूल स्थानों पर भेजा जा सके इसके लिए 29 अप्रैल 2020 को एक आदेश जारी किया गया. 1 मई 2020 को फंसे हुए लोगों के आवागमन के अनुमति ट्रेन से जाने के लिए दी गई विशेष श्रमिक ट्रेनें चलाकर उन्हें उनके गंतव्य स्थानों पर भेजा गया रेल मंत्रालय ने राज्य सरकारों से प्राप्त अनुरोध के आधार पर एक मई 2020 से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई.


25 मार्च 2020 से 31 दिसंबर 2020 के बीच गृह मंत्रालय के कंट्रोल रूम में कुल 13034 कॉल्स का निपटान किया जिनमें 854 कॉल आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं से संबंधित थी. 11377 कॉल भोजन और आश्रय से संबंधित थी. 129 कॉल पूर्वोत्तर राज्यों से संबंधित थी और 742 कॉल अन्य मुद्दों के लिए थी.


2 मई 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक 295327 फंसे हुए व्यक्तियों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में आवाजाही के बारे में फंसे हुए व्यक्तियों से कुल 32946 कॉल प्राप्त हुई जिसमें से 271219 मजदूरों के लिए 5388 विद्यार्थियों के लिए 1539 पर्यटकों के लिए और 17052 कॉल अन्य व्यक्तियों के लिए थी. इसके अतिरिक्त 296 कॉल उन लोगों से प्राप्त हुई जो विदेशों से भारत में आना चाहते थे और 265 कॉल उन लोगों से प्राप्त हुई जो भारत से विदेश में यात्रा करना चाहते थे. इसके चलते गृह मंत्रालय के कंट्रोल रूम और क्षेत्रीय अधिकारियों ने प्रभावकारी ढंग से स्थिति को नियंत्रित किया.


अर्धसैनिक बलों में महिलाओं की संख्या


देश के सभी अर्धसैनिक बलों में महिलाओं की कुल संख्या 27182 है जो केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में कुल प्रतिशत का 2.70% है. 


जम्मू कश्मीर में घुसपैठ और आतंकवाद


रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में साल 2019 में घुसपैठ की 216 कोशिशें की गई जबकि साल 2020 में मात्र 99 घुसपैठ की कोशिशें हुई. मंत्रालय का अनुमान है कि साल 2019 में 138 बार अनुमानित घुसपैठ हुई जबकि साल 2020 में अनुमानित घुसपैठ 51 बार हुई. साल 2020 में आतंकवाद की 244 घटनाएं हुई जिसमें 62 सुरक्षाकर्मी और 37 सिविलियन मारे गए जबकि 221 आतंकवादी मारे गए साल 2019 में यह आंकड़ा 594 घटनाएं जिनमें 80 सुरक्षाकर्मी और 39 सिविलियन मारे गए जबकि 157 आतंकवादी मारे गए थे. जम्मू कश्मीर में 90 के दशक में आतंकवाद के शुरू होने के बाद से 14091 सिविलियन और 5356 सुरक्षा कर्मी साल 2020 तक अपनी जाने गवा चुके हैं.


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