Ukraine Russsia War: रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की चिंताएं भी बढ़ सकती हैं. भले ही युद्ध के बाद एक बार फिर से सुपर-पावर के तौर पर उभरा रूस भारत का एक पुराना और भरोसेमंद मित्र-देश रहा हो, लेकिन भारत की चिंता रूस और चीन के गठजोड़ को लेकर हैं. यूक्रेन विवाद के दौरान चीन पूरी तरह से रूस के पक्ष में खड़ा हुआ दिखाई पड़ रहा है. वही चीन जिसके साथ भारत का पिछले दो सालों से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर सीमा-विवाद चल रहा है.


युद्ध का विरोध कर रहा है- भारत


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा-परिषद में रूस के खिलाफ वोटिंग के दौरान भारत अनुपस्थित रहा, लेकिन भारत अभी भी ना तो रूस के पक्ष में खड़ा हुआ है और ना ही अमेरिका और नाटो समर्थित यूक्रेन के. भारत पूरी तरह से युद्ध का विरोध कर रहा है और पूरे विवाद को राजनयिक स्तर पर बातचीत के जरिए सुलाझने का पक्षधार है.


संयुक्त राष्ट्र में भारत के अलावा चीन भी उन तीन देशों में शामिल है जो रूस के खिलाफ वोटिंग में अनुपस्थित रहा--तीसरा देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) है. लेकिन भारत के लिए माथे पर बल इसलिए पड़ सकता है क्योंकि चीन खुलकर रूस का समर्थन कर रहा है. चीन और रूस की नजदीकियां इसलिए भी बढ़ रही हैं क्योंकि दोनों ही देश अमेरिका को अपना दुश्मन नंबर वन मानते हैं. लेकिन इस दोस्ती और दुश्मनी के खेल में कहीं भारत तो नहीं पीस जाएगा. ये मुश्किलें इसलिए भी बढ़ सकती हैं क्योंकि जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला किया उस दिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी मास्को में मौजूद थे.


परस्थितियां बदल गई हैं और ग्लोबल टेंशन बढ़ गई हैं- विदेश सचिव


पाकिस्तान के साथ भारत ने पिछले साल भले ही एलओसी पर शांति को लेकर सीज़फायर एग्रीमेंट कर लिया था, लेकिन पाकिस्तान अपने फितरतों से कभी बाज नहीं आता और पलटवार करने से नहीं चूकता है, चाहे फिर वो सियाचिन को लेकर लड़ाई हो या फिर करगिल युद्ध या फिर आतंकियों के जरिए प्रोक्सी-वॉर. इसलिए भारत भी तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों पर पैनी नजर रखे हुए है. रूस-चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ और यूक्रेन युद्ध के बाद उभर कर सामने आने वाले 'न्यू वर्ल्ड-ऑर्डर' को लेकर एबीपी न्यूज ने गुरूवार को विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला की प्रेस कांफ्रेंस में ये सवाल खास तौर से पूछा था. भारत के विदेश सचिव भी यूक्रेन यु्द्ध को लेकर पैदा हुए वैश्विक-तनाव के प्रति गंभीर हैं. उन्होनें जवाब में कहा कि " बिल्कुल परस्थितियां बदल गई हैं और ग्लोबल टेंशन बढ़ गई हैं. लेकिन हम अपने देश के हितों को लेकर. अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर जो जरूरी होगा, वो करेंगे. हमारे सभी देशों के साथ संबंध हैं और हम संपर्क में रहेंगे."


भारत के लिए बन रही है 60 के दशक वाली स्थिति


भारत के लिए ये 60 के दशक वाली स्थिति बन रही है, जब रूस और अमेरिका क्यूबा मिसाइल विवाद में फंसे हुए थे और चीन ने भारत पर आक्रमण कर अक्साई-चिन छीन लिया था. आज भी वहीं परिस्थितियां दोहराई जा रही हैं. क्योंकि चीन की पीएलए सेना एक बार फिर से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर पिछले दो सालों से डेरा जमाए बैठी है. माना जा रहा है कि चीन के 50 हजार से भी ज्यादा सैनिक सहित बड़ी संख्या में टैंक, तोप, मिसाइल और लड़ाकू विमान पूर्वी लद्दाख के दूसरी तरफ चीन सीमा में मौजूद हैं. यही वजह है कि भारत ने भी मिरर-डिप्लोयमेंट कर रखी है यानि करीब 50 हजार सैनिक और चीन के बराबर हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान.


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