UK PM Boris Johnson India Visit:  भारत पर कभी 200 साल तक राज करने वाले ब्रिटेन को अब भारत के साथ साझेदारी फायदेमंद भी लगती है और रणनीतिक जरूरत भी. यही वजह है कि घरेलू मोर्चे पर राजनीतिक विवादों में घिरे ब्रिटिश पीएम भारत पहुंचे तो उनका जो आर्थिक साझेदारी मजूबत करने के साथ साथ यह जताने और बताने पर था कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का साथ ब्रिटेन के लोगों के लिए कितना अच्छा है.



काल चक्र में 75 बरस का पहिया क्या घूमा कि अंग्रेजी हुकूमत का सबसे प्रमुख झंडाबरदार उस गांधी के चरखे को चलाता नजर आया, जिसने लंदन से चलने वाली सत्ता के खिलाफ भारत की आजादी की मुहिम चलाई थी. अपने भारत दौरे की शुरुआत गुजरात से करने वाले बोरिस जॉनसन का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम ही अहमदाबाद का साबरमति आश्रम था, जहां कभी महात्मा गांधी रहा करते थे. इतना ही नहीं अपने देश की कंपनी जेसीबी की गुजरात में लगी फैक्ट्री का भी उद्घाटन बोरिस जॉनसन ने इस यात्रा के दौरान किया.


दुनिया के लिए नए अवसर खोलेगी भारत-यूके की साझेदारी- बोरिस

बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच शुरु हुआ मुक्त व्यापार समझौते की कवायद को 2022 में दिवाली तक पूरा करने का संकल्प भी जताया. भारतीय पीएम के साथ बातचीत के बाद उन्होंने मीडिया कैमरों के आगे कहा कि दुनिया की पांचवीं और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की साझेदारी दोनों देशों के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए नए अवसर खोलेगी. इतना ही नहीं भारत और ब्रिटेन ने 2047 तक साझा समृद्धि और सुरक्षा के विजन पर भी सहमति जताई.

ब्रिटेन और भारत के प्रधानमंत्रियों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के अगले एक दशक का खाका भी दिल्ली के हैदराबाद हाउस की मुलाकात में तय हुआ. इस दौरान खासा जोर दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा की साझेदारी पर था. ब्रिटेन ने भारत को लड़ाकू विमान तकनीक, इलैक्ट्रिक प्रोपल्शन, जैट प्रोपल्शन जैसी अहम प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग देने का वादा किया. वहीं अपने यहां बन रहे नए सैन्य हैलिकॉप्टक और युद्धपोत निर्माण में भी तकनीकी साझेदारी का न्यौता दिया. इसके अलावा दोनों देशों के रक्षा वैज्ञानिकों के बीच संवाद से लेकर संयुक्त उत्पादन पर भी सहमति बनी.

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के मुताबिक दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच हुई बातचीत में सामरिक साझेदारी को नए पायदान पर ले जाने में सहमति बनी. इस कड़ी में रक्षा सहयोग एक अहम मोर्चा है. उन्होंने बताया कि बीते दिनों ब्रिटेन ने भारत को किए जाने वाले रक्षा निर्यात नियमों में रियायत देने हुए जनरल लायसेंस व्यवस्था में बदलाव किए हैं. इससे भारत के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भता योजनाओं में ब्रिटिश कंपनियों के योगदान का लाभ मिलेगा. बोरिस जॉनसन ने अपने भारत दौरे को सौ अरब पाउंड( 9800 अरब रुपये) के कारोबार और निवेश समझौतों के लिहाज से महत्वपूर्ण करार दिया. इसमें विशेष अहमियत इलैक्ट्रिक वाहन, सायबर सुरक्षा, स्पेस, आर्टिफिशयल इंटैलिजेंस जैसे भविष्य की चुनौतियों पर साझा समाधान तलाशने की है.

यूक्रेन मुद्दे पर भारत के रुख का सम्मान

युद्ध में खुलकर यूक्रेन का साथ और रूस का विरोध कर रहे बोरिस जॉनसन सीधे तौर पर भारत के रुख पर कोई विरोधी टिप्पणी करने से बचते नजर आए. मीडिया के सवालों पर जॉनसन ने कहा कि भारत के रूस के साथ संबंध बहुत पुराने हैं और यह बात सभी जानते हैं. हम इन्हें एक दम बदलने को नहीं कह सकते, लेकिन इतना जरूर है कि ऐसे बहुत से मोर्चे हैं, जहां भारत और ब्रिटेन जैसे लोकतंत्र मिलकर काम कर सकते हैं. इतना ही नहीं जॉनसन ने कहा कि भारतीय पीएम ने शांति के प्रयासों पर जोर दिया है और उन्होंने इस मामले पर राष्ट्रपति जेंलेंसकी और राष्ट्रपति पुतिन से बात की है. साथ ही हिंसा रोकने और बातचीत से समाधान पर जोर दिया है.

वहीं भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने भी कहा कि यूक्रेन मुद्दे पर दबाव जैसा कुछ भी नहीं था. बातचीत के दौरान ब्रिटिश पीएम ने इस मामले पर अपना रुख सामने रखा वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने नजरिए से बात रखी. जाहिर है भारत ने दोहराया कि यूक्रेन में जारी हिंसा पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए. साथ ही कूटनीति और राजनयिक प्रयासों को जगह दी जानी चाहिए, ताकि स्थाई और शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके.

जीवंत सेतु मजबूत करने पर जोर

यूरोपीय संघ से ब्रेक्सिट के रास्ते बाहर आने के बाद ब्रिटेन अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में जुटा है. इस कड़ी में भारत के साथ उसने जहां प्रतिभाओं को आकर्षित करने के रास्ते खोले हैं, वहीं उनके लिए रोजगार सहूलियतें भी बढ़ाई हैं. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि ब्रिटेन को यह स्वीकारा होगा कि भारत के पास सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में प्रतिभाशाली मानवसंसाधन है. ऐसे में ब्रिटेन को भी अपनी कंपनियों के लिए इन प्रतिभाओं की जरूरत है. लिहाजा ब्रिटेन चाहता है कि ऐसे क्षमतावान लोगों को अवसर दिए जाएं. साथ ही भारतीय छात्र में ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में शिक्षा के अवसर हासिल करें. इससे दोनों देशों के बीच लोगों के संपर्क का जीवंत सेतु और अधिक मजबूत होगा.

गैर-पारंपरिक ऊर्जा सहयोग

भारत और ब्रिटेन के बीच सहयोग का एक अहम मोर्चा गैर-पारंपरिक ऊर्जा सहयोग भी बना. ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर यूएन शिखर बैठक की मेजबानी करने के बाद भारत पहुंचे बोरिस जॉनसन ने कहा कि ब्रिटेन इस क्षेत्र में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए निवेश बढ़ाएगा. दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान के मुताबिक, इस कड़ी में हरित ढांचागत निर्माण के लिए 425 अमेरिकी डॉलर का निवेश किया जाएगा. साथ ही ब्रिटेन विश्व बैंक से भारत के लिए एक अरब डॉलर की लैंडिंग ग्यारंटी भी मुहैया कराएगा.


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