उत्तराखंड में सोमवार (27 जनवरी, 2025) से यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता लागू हो गया है. अब राज्य के सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग) पर एक ही कानून लागू होगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यह कानून सभी पर एकसमान अधिकार और जिम्मेदारियों सुनिश्चित करते हुए समाज में एकरूपता लेकर आएगा. यूसीसी में बहुविवाह और हलाला की अनुमति नहीं है. साथ ही 2010 से हुई शादियों का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और एक्ट लागू होने के बाद होने वाली शादियों को 60 दिन के अंदर रजिस्टर करवाना होगा. सभी धर्मों के लिए तलाक का कानून भी एक जैसा होगा.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी पोर्टल लॉन्च करते हुए कहा, 'आज का दिन पूरे भारत के लिए ऐतिहासिक दिन है. हम यूसीसी को उत्तराखंड में लागू करने जा रहे हैं. इसी समय से उत्तराखंड में यूसीसी लागू हो गई है. इसी क्षण से सभी धर्म की महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त हो गए हैं.' उन्होंने कहा, 'मेरे लिए भावुक क्षण है. हमने 2022 के चुनाव में जो वादा किया था हमने उसे पूरा किया. हलाला, बहुविवाह, बाल विवाह, तीन तलाक जैसी कुप्रथाओं पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी. समान नागरिक संहिता किसी भी धर्म या पंत के खिलाफ नहीं है. इसमें किसी को टार्गेट करने का कोई कारण नहीं है. यह समाज में समानता लाने का कानूनी प्रयास है. इसमें किसी प्रथा को नहीं बदला गया है बल्कि कुप्रथा को खत्म किया गया है.'
आइए जानते हैं कि समान नागरिक संहिता लागू होने से उत्तराखंड में क्या-क्या बदल जाएगा?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद रिटायर्ड जस्टिस रंजन प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कमेटी ने 2 फरवरी, 2024 को यूसीसी पर ड्राफ्ट तैयार किया था, जिसे उत्तराखंड सरकार ने 4 फरवरी को मंजूरी दे दी. इसके बाद विधानसभा में बिल पास हुआ और 18 फरवरी को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (रिटायर्ड) ने इसे मंजूरी दे दी थी. 750 पेज के ड्राफ्ट में कहा गया है कि शादी के लिए लड़की की उम्र 18 साल आर लड़के की 21 साल होनी चाहिए, दोनों में से कोई भी अगर पहले से शादी शुदा है तो जरूरी है कि उसका जीवित पार्टनर नहीं होना चाहिए यानी एक पार्टनर के होते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकते हैं.
60 दिन के अंदर शादी का रजिस्ट्रेशनहर धर्म को अपने रीति-रिवाज से शादी करने का अधिकार है, लेकिन शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी है. यूसीसी एक्ट के तहत 60 दिन के अंदर शादी को रजिस्टर करवाना जरूरी है. मुख्यमंत्री धामी ने कहा, 'विवाह विच्छेद और उत्तराधिकार में समानता लाई गई है. सभी धर्म के लोग अपनी रीति-रिवाजों का पालन कर सकते हैं. इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. किसी का निकाह नहीं रोका जाएगा. जैसे पहले था वैसे ही होगा. कोई सात फेरे भी ले सकता है.' रजिस्ट्रेशन के बाद सब-रजिस्टरार को 15 दिनों के अंदर उचित निर्णय लेना होगा, अगर ऐसा नहीं होता है तो एप्लीकेशन रजिस्टरार को चला जाएगा. शादी का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन भी कर सकते हैं ताकि सरकारी कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें. इसके लिए कट ऑफ 27 मार्च , 2010 रखा गया है यानी इस तारीख से हुए सभी विवाह का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. इसके लिए 6 महीने का समय दिया गया है.
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन जरूरीयूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए माता-पिता की अनुमति जरूरी होगी. कपल को रजिस्ट्रार के सामने संबंध के बारे में बताना होगा और अगर रिलशेन खत्म करना है तो भी रजिस्ट्रार को बताना होगा. एक महीने से ज्यादा समय तक बिना रजिस्ट्रेशन के लिव-इन में रहने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. रजिस्टर्ड कपल की सूचना रजिस्ट्रार उनके माता-पिता को देगा और यह जानकारी पूरी तरह से गोपनीय होगी.
लिव-इन में जन्मा बच्चा लीगललिव-इन में पैदा हुए बच्चे को लीगल माना जाएगा. रिलेशनशिप टूटने पर महिला गुजारा-भत्ता मांग सकती है. सीएम धामी ने कहा कि लिव इन में रहने के दौरान जन्मे बच्चे को उस कपल का बच्चा माना जाएगा और उसे सभी अधिकार प्राप्त होंगे. उन्होंने कहा, 'हमारा उद्देश्य किसी की निजता का हनन करना नहीं है बल्कि उनकी सुरक्षा हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है. कई बार साथ रहने के बाद रिश्ते खराब भी हो जाते हैं और हत्याएं भी हो जाती हैं. 2022 में दिल्ली में श्रद्धा वालकर को आफताब ने 300 लीटर के फ्रीज में काटकर डाल दिया था. इसके बाद कोई भी आफताब किसी श्रद्धा के साथ हैवानी नहीं कर सकता.'
हलाला-बहु-विवाह पर रोकइस्लाम में प्रचलित हलाला प्रथा पर यूसीसी में रोक लगा दी गई है. उत्तराखंड में रहने वाले मुस्लिम लोग हलाला प्रथा का पालन नहीं कर सकते हैं. साथ ही बहुविवाह पर भी रोक है.
शादी के बाद तलाक का रजिस्ट्रेशन इस कानून के जरिए शादी की तरह विवाह-विच्छेद का पंजीकरण भी जरूरी है, जो वेब पोर्टल के जरिए किया जा सकेगा.
दूसरे धर्म का बच्चा गोद लेने पर रोकयूसीसी के तहत सभी धर्मों को बच्चा गोद लेने का अधिकार है, लेकिन अपने ही धर्म का बच्चा गोद ले सकते हैं. दूसरे धर्म का बच्चा गोद लेने पर रोक है.
बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबर का हकयूसीसी के तहत सभी समुदायों में बेटा और बेटी को पिता की संपत्ति में बराबर का हक मिलेगा. प्राकृतिक संबंधों, सहायक विधियों या लिव-इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चों का भी संपत्ति में अधिकार माना जाएगा.
माता-पिता को भी संपत्ति में अधिकारकिभी व्यक्ति की मृत्यु के बाद पत्नी और बच्चों के साथ माता-पिता को भी संपत्ति में हक मिलेगा. अगर संपत्ति को लेकर कोई मतभेद की स्थिति पैदा होती है तो मृतक की संपत्ति में से पत्नी, बच्चों और माता-पिता को समान अधिकार मिलेगा.
अनुसूचित जनजातियां यूसीसी से बाहरसंविधान के अनुच्छेद-342 में वर्णित अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी से बाहर रखा गया है. इन जनजातियों को रीति-रिवाजों के संरक्षण के लिहाज से इन्हें यूसीसी से बाहर रखा गया है. इसके अलावा, ट्रांसजेंडर की परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं है.
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