मध्यप्रदेश: मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान हुई फायरिंग में पांच किसानों की मौत के एक महीने पूरे होने पर फिजा गर्म है. कई किसान संगठनों ने फायरिंग की जगह श्रद्धांजलि का कार्यक्रम रखा है तो कांग्रेस ने जेल भरो का आह्वान किया है. दूसरी तरफ स्थिति नियंत्रण में होने का दावा करने के बावजूद प्रशासन ने किसी भी बड़े कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी है.


एक महीने पहले 6 जून को मध्यप्रदेश के मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों पर हुई पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत हुई थी. आंदोलन के दौरान हुई पिटाई से बाद में 1 और किसान की मृत्यु हो गई थी. इस घटना के एक महीना पूरा होने पर मंदसौर में सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है. विभिन्न किसान संगठनों ने फायरिंग की जगह पर मृत किसानों को श्रद्धांजलि देने का एलान किया है. इस कार्यक्रम में योगेंद्र यादव, मेधा पाटेकर, राजू शेट्टी समेत कई जाने पहचाने लोग शामिल होंगे साथ ही इसमें बड़ी संख्या में आसपास के किसान भी शामिल हो सकते हैं. हालांकि प्रशासन ने शांति भंग होने की आशंका में किसान नेता सुनीलम को गिरफ्तार कर लिया है.


किसानों के मुद्दे पर योगेंद्र यादव सहित कई किसान नेता और सामाजिक कार्यकर्ता अखिल भारतीय किसान संघर्ष-समन्वय समिति के बैनर तले 6 राज्यों में 12 दिनों की किसान मुक्ति यात्रा निकाल रहे हैं जिसकी शुरुआत मंदसौर से हो रही है. किसान संगठनों के यात्रा में प्रशासन मंदसौर में किसी तरह के जमावड़े को इजाजत देने के मूड में नहीं है. बीच का रास्ता निकालने को लेकर देर शाम तक प्रशासन और किसान नेताओं के बीच कोशिश होती रही.


कांग्रेस का जेल भरो आह्वान


दूसरी तरफ कांग्रेस ने 6 जुलाई को मंदसौर में जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया है. इसमें पार्टी के राज्य स्तर के नेताओं के शामिल होने की संभावना है. जाहिर है कांग्रेस के निशाने पर राज्य की शिवराज सरकार है. मारे गए किसानों के परिवार को राज्य सरकार एक करोड़ के मुआवजे का एलान कर चुकी है.


पिछले दिनों देश भर में किसानों ने आंदोलन किए हैं और उनकी आत्महत्याओं का सिलसिला नहीं थमा है. मानसून आने के साथ ही किसान अपने काम में लग गए हैं लेकिन किसानों के मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए सामाजिक संगठनों ने आंदोलन जारी रखा हुआ है. किसान संगठनों की मांग है केंद्र सरकार स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू कर अपना वादा निभाए. किसानों को उनकी लागत पर उचित मूल्य मिले और कर्ज के बोझ से किसानों को मुक्ति मिले.