नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक बेहद सनसनीखेज दावा हो रहा है. दावा ऐसा जिससे हर आदमी को दो चार होना पड़ता है. एक विज्ञापन सोशल मीडिया पर वायरल है कि पुणे कैंटोनमेंट बोर्ड की तरफ से एक विज्ञापन जारी करते हुए अखबार की कटिंग में खाना बेचने वालों को चेतावनी दी गई है क्योंकि अखबार की स्याही इंसान के शरीर के लिए बेहद खतरनाक है.
नोटिस में क्या लिखा है? नोटिस में पुणे केंटोनबोर्ड का नाम है ऊपर पब्लिक नोटिस लिखा है. ये आम लोगों की जानकारी के लिए है कि किसी भी तरह के खाने-पीने का सामान खासकर तला भुना जो न्यूजपेपर में पैक किया गया हो बिल्कुल ना खरीदें. एफएसएसएआई यानि भारतीय खाद्य संरक्षा एंव मानक प्राधिकरण के मुताबिक तले भुने सामान को अखबार की पैकिंग में खाना शरीर के लिए बेहद खतरनाक है. अखबार की स्याही में बहुत खतरनाक रसायन होते हैं जो शरीर में समस्याएं पैदा कर सकते हैं. नोटिस जारी करने की तारीख भी नीचे लिखी हुई है 16 फरवरी.
क्या पुणे कैंटोनमेंट बोर्ड की तरफ से ऐसी कोई चेतावनी जारी की गई है? इस खबर का सच सामने लाना बेहद जरूरी है क्योंकि पूरे देश के लोगों से जुड़ी खबर है. सच जानने के लिए हमने महराष्ट्र के पुणे में अपनी पड़ताल शुरू की. एबीपी न्यूज पुणे कैंटोनमेंट बोर्ड के दफ्तर पहुंचा. पुणे कैंटोनमेंट बोर्ड वहां के केंटोनमेंट एरिया की प्रशासनिक बॉडी है. हमने बोर्ड के सीईओ डॉ डीएन यादव को ढूंढने की कोशिश की जिनका नाम नोटिस पर छपा हुआ था. हमने डॉ डीएन यादव से पूछा कि क्या वाकई ऐसा कोई नोटिस जारी किया गया है?
ये विज्ञापन कैंटानमेंट बोर्ड की तरफ से छपवा गया था. 17 फरवरी को इंडियन एक्सप्रेस में और 16 फरवरी को लोकसत्ता अखबार में ये विज्ञापन हमारी तरफ से छपवाया गया था. इसका उद्देश्य जनता को जागरुक करना था साथ ही वेंडर को चेतावनी देना था. कैंटोनमेंट एक्ट की धारा 278 और 331 के तहत कार्रवाही कर सकते है. ऐसा करने पर हम 2500 का फाइन कर सकते है.
ऐसा नोटिस जारी करने की नौबत क्यों आई? अखबार की प्रिटिंग में जो इंक इस्तेमाल की जाती है वो बेहद खतरनाक होती है. इसमें बेंजीडाइन, नेपथाइलनेमाइल, अमाइनोबाईफेनाइल जैसे खतरनाक केमिकल होते हैं. खाने पीने की गर्म और तली चीजों में अखबार की इंक जल्दी चिपक जाती है. ये इतना खतरनाक है इससे फेफड़ों को नुकसान के साथ-साथ ब्लैडर कैंसर तक हो सकता है.
एबीपी न्यूज की पड़ताल में वायरल मैसेज सच साबित हुआ है.