नई दिल्ली: एक जून को देश के करीब आधा दर्जन नए कमांडर्स ने पदभार संभाला. इनमें सेना की पूर्वी कमान के कमांडर, अंडमान निकोबार कमांड के कमांडर इन चीफ और नौसेना के उप-प्रमुख सहित असम राइफल्स के डीजी शामिल हैं.


लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे


लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने मंगलवार को कोलकता (फोर्ट विलियम्स) स्थित सेना की पूर्वी कमांड की कमान संभाल ली. इंजीनियरिंग कोर से ताल्लुक रखने वाले मनोज पांडे इससे पहले अंडमान निकोबार कमान के कमांडर इन चीफ के पद पर तैनात थे. सेना की इतिहास में कम ही देखा गया है कि कोई इंजीनियरिंग कोर का अफसर आर्मी-कमांडर के पद तक पहुंच पाता है. हालांकि, इससे पहले लेफ्टिनेंट जनरल एमएमएस राय भी सैपर (इंजीनियरिंग कोर को सैपर भी कहा जाता है) थे और पूर्वी कमान के कमांडर बनने के बाद सहसेना प्रमुख (वाइस चीफ) के पद तक पहुंचे थे. खास बात ये है कि अगले साल यानी अप्रैल 2022 में जब थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे अपने पद से रिटायर होंगे तो मनोज पांडे सबसे सीनियर कमांडर्स में से एक होंगे. अभी तक कोई सैपर सेना प्रमुख के पद तक नहीं पहुंच पाया है.



लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह


लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने जब मंगलवार को अंडमान निकोबार कमान के कमांडर इन चीफ का पद संभाला तो उनके साथ एक नया कीर्तिमान बन गया. देश में शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई पांचवी पीढ़ी का कैवेलरी (टैंक) ऑफिसर इतने ऊचें ओहदे पर पहुंचा है. उनके परिवार में सेना की कैवेलरी यूनिट में तैनात होने का सिलसिला 19वीं सदी में जाता है, जब 1858 में उनके पड़-दादा के पिता, रिसालदार-मेजर मलूक सिंह अहलावात ब्रिटिश इंडियन आर्मी की बंगाल-कैवलरी यूनिट में शामिल हुए थे. उनके पिता, दादा और पड़-दादा भी सेना की कैवलरी यूनिट में तैनात थे.


लेफ्टिनेंट अजय सिंह फिलहाल सेना मुख्यालय में डीजी, मिलिट्री ट्रेनिंग के पद पर तैनात थे. वे अंडमान निकोबार कमान के कमांडर इन चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे की जगह ले रहे हैं जो सोमवार को सेना की कोलकता (फोर्ट विलियम) स्थित पूर्वी कमांड की कमान संभालेंगे. अजय सिंह सेना की 81 आर्मर्ड (कैवलरी) रेजीमेंट से ताल्लुक रखते हैं. खास‌ बात ये है कि 37 साल के कैरियर में वे सेना की सभी कमांड में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. उन्होनें सेना के लिए तीन अहम 'स्टडी' में भी योगदान दिया है. पहली है 'लैंड वॉरफेयर डॉक्ट्रिन', 'आर्मी हेडक्वार्टर रि-ऑर्गेनाइजेशन' और तीसरी एक ऑपरेशनल स्टडी है जिसे क्लासीफाइड रखा गया है. वे फिलहाल 'चीन-पाकिस्तान और सीपीईसी' पर पीएचडी भी कर रहे हैं.


लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप चंद्रन नायर


देश के सबसे बड़े और एकमात्र पैरा-मिलिट्री फोर्स, असम राईफल्स के नए महानिदेशक (डीजी) के तौर पर शिलांग में पदभार संभाला. असम राईफल्स की जिम्मेदारी म्यांमार से सटे बॉर्डर की सुरक्षा सहित पूरे उत्तर-पूर्व राज्यों की आंतरिक सुरक्षा है. लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप चंद्रन नायर ने देश के लिए 40 साल की सेवाएं देने के बाद रिटायर हुए लेफ्टिनेंट जनरल सुखदीप सांगवान की जगह ली है. आपको बता दें कि असम राईफल्स में डीजी सहित सभी अधिकारी सेना से डेप्यूटेशन पर आते हैं.




वाइस एडमिरल रवनीत सिंह


मिग29 के और सी-हैरियर जैसे लड़ाकू विमान उड़ा चुके वाइस एडमिरल नवनीत सिंह ने राजधानी दिल्ली स्थित नौसेना मुख्यालय में डिप्टी चीफ ऑफ नेवल स्टाफ यानी उप-नौसेना प्रमुख का पदभार संभाला. रवनीत सिंह नौसेना की कई फ्लाइंग स्क्वाड्रन के साथ-साथ गोवा स्थित आईएनएस हंस बेस के भी कमांडर रह चुके हैं. इसके अलावा नौसेना के युद्धपोत, आईएनएस रणविजय और आईएनएस हिमगिरी के भी कमांडर रह चुके हैं. वे मुंबई स्थित पश्चिमी कमान के फ्लीट कमांडर के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. रवनीत सिंह केन्या, तंजानिया और सेसल्स जैसे देशों में भारत दूतावासों में डिफेंस एडवायजर के पद पर भी रह चुके हैं.




वाइस एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी


नौसेना के चीफ ऑफ पर्सनल के पद पर नौसेना मुख्यालय में पदभार संभाला है. दिनेश कुमार त्रिपाठी अपने इस पद पर रहते हुए सेना में मानव संसाधन से जुड़े मामले देखेंगे.




वाइस एडमिरल संदीप नैथानी


नौसेना मुख्यालय में चीफ ऑफ मैटेरियल के पद पर तैनात हुए हैं. नौसेना प्रमुख के प्रिसिंपल स्टाफ ऑफिसर के तौर पर वे नौसेना के सबसे सीनियर टेक्निकल ऑफिसर हैं और नौसेना के सभी युद्धपोत, पनडुब्बी और हथियारों के मेंटनेंस से लेकर स्वदेशी-करण के लिए जिम्मेदार होंगे.