चुनाव आयोग बिहार की मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कर रहा है. इसे लेकर न सिर्फ प्रदेश बल्कि देशभर में सियासी बवाल मच गया है. इसी मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद सुष्मिता देव ने शनिवार (26 जुलाई, 2025) को सरकार पर जुबानी हमला करते हुए SIR के जरिए बैकडोर से NRC लाने का आरोप लगाया.

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टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने बताया कि SUR की तुलना नागरिकता अधिनियम से की है. उन्होंने कहा कि विशेष गहन संशोधन (SIR) जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता के दस्तावेजों की मांग करता है, जो सीधे नागरिकता अधिनियम की धारा 3 को प्रतिबिंबित करता है.

सुष्मिता देव ने मोदी सरकार पर लगाए आरोप  

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सुष्मिता देव ने केंद्र सरकार पर चुनाव आयोग के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया और इस प्रक्रिया को बैकडोर से NRC लाने का प्रयास बताया. उन्होंने कहा, "यह सिर्फ 'मतदाता सफाई' नहीं है. यह एक भयावह प्रयास है. केंद्र की बीजेपी सरकार चुनाव आयोग के माध्यम से बैकडोर से एनआरसी लाने के लिए इसे एक नागरिकता परीक्षण में बदल रही है." उन्होंने कहा, "वे लाखों लोगों को वंश साबित करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. यह हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिकता पर हमला है."

एसआईआर को लेकर बीजेपी ने क्या कहा ? 

बता दें कि बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में राज्य में एसआईआर को लेकर बयानबाजी जारी है. विपक्षी दल लामबंद होकर एसआईआर का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार और चुनाव आयोग के बीच सांठगांठ का आरोप लगाते हुए लाखों मतदाताओं को वोट देने से वंचित करने का आरोप लगाया है. वहीं, बीजेपी एसआईआर को चुनाव आयोग की सामान्य प्रक्रिया बता रही है, जिसके तहत फर्जी मतदाताओं की पहचान की जा सके.

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