Cash For Query Case: कैश फॉर क्वेरी के मामले में संसद की सदस्यता गंवा बैठीं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महुआ मोइत्रा ने बुधवार (13 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट से मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसको भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ के सामने रखना होगा और वो इसकी लिस्टिंग पर फैसला करेंगे. 


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महुआ मोइत्रा की लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती देने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने पर भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ फैसला लेंगे. जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ के सामने मोइत्रा की याचिका का, तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया गया.


लोकसभा में मंजूर हुई आचार समिति की रिपोर्ट


जस्टिस कौल ने महुआ मोइत्रा के वकील अभिषेक सिंघवी से कहा, ‘‘इस पर सीजेआई फैसला लेंगे.’’ चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ पांच-न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे हैं जो बुधवार को एक मामले की सुनवाई के लिए बैठी. लोकसभा में आचार समिति की उस रिपोर्ट को मंजूर कर लिया गया जिसमें तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में ‘अनैतिक एवं अशोभनीय आचरण’ का जिम्मेदार ठहराया गया था.


महुआ मोइत्रा ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती


संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आठ दिसंबर को हंगामेदार चर्चा के बाद लोकसभा में मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. चर्चा में मोइत्रा को खुद का पक्ष रखने का मौका नहीं मिला था. इसके बाद तृणमूल नेता ने लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. अपने निष्कासन पर प्रतिक्रिया देते हुए मोइत्रा ने इस फैसले की तुलना ‘‘कंगारू अदालत’’ की सजा से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोकसभा की आचार समिति को, विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने का हथियार बना रही है.  


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