लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कासगंज में गणतंत्र दिवस पर तिरंगा यात्रा के बाद से शुरू हुआ हिंसा का दौर अभी थमा नहीं है. रविवार की सुबह भी आगजमी की घटना सामने आई है. उपद्रवियों ने कासगंज की एक दुकान में आग लगाई है. दूसरी तलाशी के दौरान पुलिस को एक घर से देशी बम और हथियार मिले हैं. हालांकि, यूपी के नए डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि बीते 10 घंटे से कोई हिंसा नहीं हुई है.

बीते तीन दिन में अब तक इस मामले में कुल 79 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बड़ी संख्या में लोग हिरासत में भी लिए गए हैं.

इससे पहले, शनिवार को भी हिंसा जारी रही. उपद्रवियों ने शहर में कई जगहों पर आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिए और माहौल बिगाड़ने की कोशिश की.

कर्फ्यू की जरूरत नहीं- पुलिस

पूरी पुलिस व्यवस्था के बाद भी इस तरह की घटनाएं बड़े सवाल उठा रही हैं. इस बीच अलीगढ़ रेंज के कमिश्नर ने कहा कि कर्फ्यू लगाने की जरूरत नहीं है. उनका तर्क है कि कर्फ्यू वाली स्थिति ही नहीं है. जान-माल का नुकसान ही नहीं है तो कर्फ्यू क्यों लगाया जाये.

प्रशासन ने बवाल को देखते हुए ऐहतियातन इंटरनेट सेवाएं कल शाम तक के लिए बंद कर दी हैं. 26 जनवरी को हुई हिंसा में चंदन नाम के युवक की मौत हो गई थी. शनिवार को चंदन के शव के अंतिम संस्कार के बाद एक बार हिंसा भड़क उठी.

उपद्रवियों ने वर्ग विशेष की दुकानों को चुन-चुन कर निशाना बनाया. आलम ये रहा कि एक जगह आग लगती जब तक पुलिस और फायरब्रिगेड उसे बुझाते, दूसरी जगह आग लगा दी जाती.

पुलिस प्रशासन लाख दावे करता रहा, लेकिन उपद्रवी भीड़ उनके सारे दावों को धता बताते हुए आगजनी जारी रखी. कल उपद्रवियों ने कासगंज में 6 दुकानों, 3 बसों और एक घर और कई कारों को निशाना बनाया.

क्या है पूरा मामला? कासगंज में शुक्रवार को विश्व हिन्दू परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली. आरोप है कि एक समुदाय विशेष के लोगों ने बाइक पर निकली तिरंगा यात्रा पर पथराव किया जिसके बाद हिंसा भड़क गई. हिंसा में चंदन नाम के युवक की मौत हो गई. कासगंज के जिलाधिकारी आर पी सिंह ने बताया कि तिरंगा यात्रा की कोई परमीशन नहीं ली गयी थी.