महाराष्ट्र विधानसभा ने रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी और अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के नोटिसों पर रिपोर्ट देने के लिए विशेषाधिकार समिति को मंगलवार को और समय दे दिया. समिति को विधानसभा के अगले सत्र के अंतिम दिन तक का समय दिया गया है. विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने समय बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधान पार्षद अशोक उर्फ भाई जगताप ने इसका समर्थन किया.


शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक ने सात सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में गोस्वामी और रनौत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के नोटिस जमा कराए थे. रनौत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से मुंबई की तुलना की थी. इसके बाद सरनाइक और अभिनेत्री के बीच जुबानी जंग भी हुई थी.


विधायक ने 2018 के खुदकुशी के लिए कथित रूप से उकसाने के एक मामले को फिर से खोलने की भी मांग की थी, जिसमें गोस्वामी को हाल में गिरफ्तार किया गया था. गोस्वामी फिलहाल जमानत पर हैं. जगताप और शिवसेना की विधान पार्षद मनीषा कायंदे ने भी आठ सितंबर को गोस्वामी के खिलाफ नोटिस जमा कराए थे. उसी दिन जगताप ने भी ‘पीओके’ टिप्पणी के लिए रनौत के खिलाफ नोटिस जमा कराए थे.


बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने मंगलवार को विधानसभा में पूछा कि क्या विशेषाधिकार हनन का दायरा बढ़ाया जा रहा है? उन्होंने पूछा कि नोटिस को कब स्वीकार किया गया और इसे कब प्रस्ताव में बदला गया? क्या वाजिब प्रक्रिया का अनुसरण किया गया था? मुनगंटीवार ने कहा कि विशेषाधिकार हनन का इस्तेमाल उनके खिलाफ किया जाता है जो सदन के कामकाज में रूकावटें डालते हैं.


बीजेपी विधायक अतुल भटकलकर ने कहा, ‘‘जब व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मानहानि कानून हैं तो विधानसभा का इस्तेमाल क्यों किया जाए.’’ राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि एजेंडे में सूचीबद्ध कार्यों में विशेषाधिकार समिति को अपनी रिपोर्ट देने के लिए सिर्फ और समय दिए जाने का उल्लेख है.


विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष दीपक केसरकर ने कहा कि नोटिस को विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार किया और समिति को भेजा. उन्होंने कहा, ‘‘मुद्दे पर किसी भी प्रकार की चर्चा अध्यक्ष के अधिकार का अतिक्रमण होगी. ’’राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री अनिल परब ने कहा कि सभी विधायकों के विशेषाधिकार हैं और अगर उन्हें इस्तेमाल नहीं किया जाए तो वे किस काम के.


विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं और राज्य के प्रमुख हैं. उन्होंने कहा,‘‘ यह मामला व्यक्ति का नहीं है, बल्कि पद का है और पद का अपमान राज्य और विधानसभा का अपमान है.’’ विधान परिषद में दरेकर ने नोटिसों पर रिपोर्ट देने के लिए विशेषाधिकार समिति को मंगलवार को और समय देने का विरोध किया.