नई दिल्ली: देश से लेकर विदेशों तक अपना लोहा मनवाने वाले महान गणितज्ञ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह का देहांत हो गया. लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे डॉक्टर नारायण ने पटना के पीएमसीएच अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके निधन के बाद देश प्रदेश में शोक का माहौल है.

गणित में अपनी अद्वीतीय योग्यता के कारण दुनिया में उन्होंने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई थी. महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का लोहा अमेरिका जैसा विकसित देश भी मानता था.

उनके निधन के बाद उनके गांव भोजपुर जिले के बसंतपुर में भी मातम पसरा है. निधन की सूचना मिलते ही आसपास के गांव के लोग उनके पैतृक घर पहुंच रहे हैं.

74 साल की उम्र में दम तोड़ने वाले इस महान गणितज्ञ की ज़िंदगी के 44 साल मानसिक बीमारी सिजेफ्रेनिया में गुजरे. लोगों का मानना है कि शुरुआती दिनों में अगर उनके इलाज में सरकारी उपेक्षा नहीं हुई होती तो आज वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम दुनिया के महानतम गणितज्ञों में सबसे ऊपर होता.

उनके बारे में मशहूर किस्सा है कि नासा में अपोलो की लॉन्चिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था.

महान गणितज्ञ ने देश के साथ साथ विदेशो में भी अपने दिमाग का डंका बजाया. 1969 में वशिष्ठ नारायण सिंह ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए. नासा में भी उन्होंने काम किया. भारत लौटने के बाद आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुंबई और आईएसआई कोलकाता में अपनी सेवाएं दीं.