नई दिल्लीः राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने महाराष्ट्र में ‘लव जेहाद के मामलों में बढ़ोतरी’ संबंधी टिप्पणी और अपने कुछ पुराने ट्वीट से विवाद को जन्म दे दिया है, जिससे कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें हटाए जाने की मांग की है. रेखा शर्मा ने मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और प्रदेश में ‘लव जेहाद’ के मामलों में कथित तौर पर बढ़ोतरी समेत महिला सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की.


उनकी टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा हो गया और कई लोगों ने इसे उनके पद के लिए ‘अशोभनीय’ करार दिया. इस बारे में रेखा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन उनके करीबी लोगों का कहना है कि महिला आयोग की अध्यक्ष ने राज्यपाल से अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले कई लोगों के रिश्तों में परेशानियों से संबंधित मामलों को उठाया तथा उन्होंने स्पष्ट किया है कि वह अंतर-धार्मिक विवाह के खिलाफ नहीं हैं.


उनकी टिप्पणी पर विवाद खड़ा होने के बाद रेखा शर्मा ने दावा किया कि उनका ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था. दरअसल, जिन कुछ अन्य ट्वीट पर विवाद हुआ वो उनके महिला आयोग अध्यक्ष बनने से पहले के समय के हैं. सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करने के बाद उन्होंने अपने ट्वीट डिलीट कर दिए और ट्विटर अकाउंट लॉक कर दिया है.


उल्लेखनीय है कि सरकार ने संसद में कहा है कि मौजूदा कानून के तहत ‘लव जेहाद’ जैसी कोई शब्दावली को परिभाषित नहीं है तथा किसी केंद्रीय एजेंसी की तरफ से ऐसा कोई मामला रिपोर्ट नहीं किया गया. कई दक्षिणपंथी संगठन अंतर-धार्मिक विवाह के मामलों के लिए अक्सर इस शब्दावली का इस्तेमाल करते हैं.


रेखा शर्मा की टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा होने के बाद कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उन्हें हटाए जाने की मांग की. आम आदमी पार्टी (आप) की प्रवक्ता आतिशी ने कहा कि रेखा शर्मा को तत्काल एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष पद से हटाया जाए.


उन्होंने कहा, ‘‘कैसे ऐसी महिला गलत, घृणित और नारी विरोधी मानसिकता के साथ उस संस्था की अध्यक्षता कर सकती है, जिसकी स्थापना महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए की गई है? हम एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष पद से रेखा शर्मा को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग करते हैं.’’ कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने कहा कि महिला आयोग की अध्यक्ष की टिप्पणियां महिलाओं की गरिमा पर हमला है और उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए. जानी-मानी वकील करुणा नंदी ने कहा कि यह दर्शाता है कि सरकार को महिला अधिकारों की कोई परवाह नहीं है.


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