तमिलनाडु में कुछ दलित लोग हिंदू धर्म छोड़कर सिख बन गए हैं. सिर पर पगड़ी और कमर पर कृपाण लगाकर ये लोग चुनावी पर्चे बांट रहे हैं. इन लोगों ने न सिर्फ सिख धर्म अपनाया है, बल्कि ये राजनीतिक पार्टी भी बनाई है. सिख धर्म अपनाने वाले ये सभी लोग लोकसभा चुनाव के मैदान में भी उतरे हैं.


बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू से सिख बने इन लोगों का कहना है कि दलित होने की वजह से इन्हें बहुत अत्याचार और भेदभाव सहना पड़ा है, जिस कारण से दलितों के आत्मसम्मान के लिए इन्होंने क्षेत्रीय पार्टी बनाई है. इस पार्टी का नाम बहुजन द्रविड पार्टी है. पार्टी के सात लोग लोकसभा चुनाव में उतरे हैं. उम्मीदवारों में एक महिला और 6 पुरुष हैं. धर्म परिवर्तन के साथ ही उन्होंने अपने नाम भी बदल लिए हैं और चुनाव के लिए यह सड़कों पर प्रचार कर रहे हैं और अपनी पार्टी के पर्चे लोगों को बांट रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि सामाजिक उत्पीड़न और किसानों के लिए सिखों के संघर्ष ने उनको प्रेरित किया है.


क्या है पार्टी का मकसद?
पार्टी के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवन सिंह ने बताया कि उनकी पार्टी पेरियार और कांसी राम की विचारधारा को पूरे देश में फैलाएगी. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, झारखंड समेत पूरे भारत में दलित और पिछड़े अपने आत्मसम्मान के लिए अपनी सांस्कृतिक पहचान बदल रहे हैं और उनकी पार्टी इन लोगों की आजादी के लिए काम कर रही है.


सालों से भेदभाव का शिकार दलित, बोले पलानी सिंह
बहुजन द्रविड़ पार्टी के उम्मीदवार पलानी सिंह ने कहा कि तमिलनाडु आत्मसम्मान और सामाजिक न्याय की बात कर रहा है. उन्होंने कहा, 'आजतक तमिलनाडु में दलितों को बहुत सारे भेदभाव और अत्याचारों का सामना करना पड़ा है. खासतौर पर दक्षिण तमिलनाडु में जातीय अत्याचार के नाम पर बहुत सारी हत्याएं हुईं. पीने के पानी की टंकी में मल मूत्र मिलाया गया. दलितों पर इस तरह के अत्याचार ही मेरे लिए सिख धर्म अपनाने की प्रेरणा थे. इसके अलावा, जब मैं किसानों के प्रदर्शन के दौरान दिल्ली गया तो मेरी आंखें खुल गई थीं.'


सिख धर्म अपनाकर बदला नाम
पार्टी के उम्मीदवारों का कहना है कि उन्होंने सिख धर्म अपना लिया है, लेकिन सिख धर्म के अनुसार नाम बदलने पर उन्हें कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जैसे पलानी सिंह का नाम पहले पलानी सामी था और उन्हें अपने पुराने नाम के साथ ही चुनाव लड़ना पड़ रहा है क्योंकि जरूरी दस्तावेज न होने की वजह से वह नए नाम के साथ चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. जीवन सिंह का कहना है कि एक उम्मीदवार राजन सिंह अपने बदले हुए नाम के साथ ही चुनाव लड़ेंगे.


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