Waqf Amendment Bill: तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने गुरुवार (27 मार्च 2025) को वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार ने इस बिल को वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा कि मुसलमानों के अधिकारों को खत्म कर देगा. उन्होंने कहा कि यह  मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और संपत्ति अधिकारों का सीधा उल्लंघन है. सीएम एमके स्टालिन ने प्रस्ताव पेश करते हुए केंद्र सरकार पर अल्पसंख्यकों और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के खिलाफ भेदभाव करने का आरोप लगाया.

'केंद्र ने मुस्लिमों के बारे में नहीं सोचा'

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश किए प्रस्ताव में कहा गया, "केंद्र सरकार ऐसी योजनाएं ला रही है, जो राज्य के अधिकारों, संस्कृति और परंपरा के खिलाफ हैं. केंद्र सरकार ने कभी मुसलमानों के कल्याण और उनके अधिकारों के बारे में नहीं सोचा. यह कानून वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाता है. संसोधन के अनुसार दो गैर-मुस्लिम लोग वक्फ का हिस्सा होंगे. मस्लिमों को इस बात का डर है कि ऐसा करके सरकार वक्फ संपत्तियों को हड़पना चाहती है, जो धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है."

तमिलनाडु विधानसभा में वक्फ बिल के खिलाफ प्रस्ताव

सीएम एमके स्टालिन ने कहा, "तमिलनाडु ने पहले ही संसदीय संयुक्त समिति के सामने अपना विरोध दर्ज कराया था, लेकिन उनकी अनदेखी की गई. इस वजह से विधानसभा में औपचारिक रूप से इसका विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. यह विधेयक वक्फ संस्थाओं के लिए अनावश्यक कानूनी बाधाएं पैदा करेगा और उनकी सही स्वायत्तता छीन लेगा. ये संशोधन सिर्फ मुस्लिम समुदाय को प्रभावित नहीं करते हैं, बल्कि यह हमारे संविधान में निहित धार्मिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों का उल्लंघन है."

'केंद्र ने सभी चिंताओं को नजरअंदाज किया'

तमिलनाडु के सीएम ने आरोप लगाया कि वक्फ संपत्तियों पर सीमा अधिनियम लागू करने से इस समुदाय की अपनी संपत्तियों पर कानूनी स्थिति कमजोर हो रही है. उन्होंने कहा, "भारत में कई राजनीतिक पार्टियों ने इसे लेकर अपनी आपत्तियां व्यक्त की हैं, फिर भी केंद्र सरकार ने इन चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया." स्टालिन ने इस विधेयक को भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर बुनियादी हमला बताया.

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