नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर सुनवाई एक अहम मोड़ पर पहुंच गई है. सरकार के सबसे बड़े वकील अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में तलाक की हर व्यवस्था को भेदभावपूर्ण बताया है और कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक, निकाह-ए-हलाला और बहुविवाह को खत्म करता है तो सरकार कानून बनाएगी.


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील मुकुल रोहतनी ने पर्सनल लॉ में मौजूद तलाक की हर व्यवस्था को महिलाओं से भेदभाव करने वाला बताया. तब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- अगर सब ख़ारिज किए गए तो तलाक कैसे होगा? अटॉर्नी जनरल ने कहा-तब हम कानून लाएंगे.


अटॉर्नी जनरल ने संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (बराबरी का अधिकार) के आधार पर मामले को देखने की मांग की. नरासु अप्पा माली केस में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का विरोध किया. इस फैसले में हाई कोर्ट ने पर्सनल लॉ को अनु. 13 (समीक्षा के दायरे में आने वाले कानून) से बाहर रखा था. नरासु अप्पा माली 1951 का फैसला है.


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अटॉर्नी जनरल ने कहा, हम कैसे जिएं, इस पर नियम बनाए जा सकते हैं. शादी और तलाक धर्म से जुड़े मसले नहीं. कुरान की व्याख्या करना कोर्ट का काम नहीं


CJI ने AG से कहा- आप जो कह रहे हैं उससे अल्पसंख्यक अधिकारों को खत्म कर देगा. ये कोर्ट अल्पसंख्यक अधिकारों की भी गार्जियन है.

# एटोर्नी जनरल ने ने पर्सनल लॉ में तलाक की हर व्यवस्था को महिलाओं से भेदभाव भरा बताया. एजी के ऐसा करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सब ख़ारिज हुए तो तलाक कैसे होगा? तब AG ने कहा, 'सरकार कानून लाएगी'


# सरकार के सबसे बड़े वकील ने कहा, 'अगर SC तीन तलाक को खत्म करता है तो हम कानून लाएंगे'

# सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हलाला और बहुविवाह का मसला बंद नहीं किया गया। इन पर भी आगे विचार होगा। अभी समय की कमी, इसलिए सिर्फ 3 तलाक पर विचार


कोर्ट यह साफ कर चुका है कि उसकी सुनवाई तीन तलाक के मसले पर है. कोर्ट मुस्लिम मर्दों को एक से ज्यादा शादी करने के मसले पर सुनवाई नहीं करेगा. इस मसले पर सुनवाई के लिए कोर्ट के कुल 6 दिन का समय तय किया है. इसमें 2 दिन 3 तलाक पर विरोधी बोलें और 2 दिन समर्थक बोलें. इसके बाद 1-1 दिन दूसरे की बात का जवाब दें. कोर्ट ने यह भी कहा कि दलीलों का दोहराव न हो.


अभी तक कोर्ट में दलीलें रखने वाले सभी पक्षों ने एक साथ तीन तलाक बोलने की व्यवस्था को खत्म करने की पैरवी की है. आज केंद्र सरकार के वकील इस मुद्दे पर अपना पक्ष रख सकते हैं. आपको बता दें केंद्र सरकार तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं के हक में नहीं देखती. खुद पीएम मोदी कह चुके हैं कि मुस्लिम समुदाय को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होने देना चाहिए.


शुक्रवार को इस मुद्दे पर कोर्ट के मित्र वकील सलमान खुर्शीद ने कहा है कि खुदा की नजर में तलाक गलत है. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो गलत है वो कानून कैसे हो सकता है? सलमान खुर्शीद ने कहा, तीन तलाक लगभग 1000 साल से है. भारत में राजनीतिक वजहों से किसी ने इसे बदलने की कोशिश नहीं की. एक साथ 3 तलाक बोलने को 1 तलाक का ही दर्जा मिलना चाहिए. कोर्ट ने खुर्शीद से उन इस्लामिक देशों के बारे में भी जानकारी मांगी जहां तीन तलाक बैन है.


इसके बाद ऑल फोरम फॉर अवेयरनेस ऑन नेशनल सिक्युरिटी की तरफ से वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने अपनी बात रखी. जेठमलानी के बाद मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से आरिफ मोहम्मद खान ने कोर्ट में जोरदार दलीलें दी.


सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार से तीन तलाक पर सुनवाई शुरू हो गई है. मुस्लिम महिलाओं के भविष्य से जुड़े सबसे बड़े मुकदमे पर पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में रोज सुनवाई होगी. गुरुवार को सुनवाई शुरू होते ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमें ये देखना है कि 3 तलाक, हलाला और बहुविवाह धर्म का मूल हिस्सा हैं या नहीं. अगर ऐसा है तो इन्हें मानना धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के दायरे में आएगा.