Indian Coast Guard: सुप्रीम कोर्ट में भारतीय तटरक्षक बल की एक महिला अधिकारी की याचिका पर सोमवार (26 फरवरी) को सुनवाई होगी जिसमें बल की योग्य महिला 'शॉर्ट सर्विस कमीशन' अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का अनुरोध किया गया है. प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले पर सुनवाई कर सकती है. 


शीर्ष अदालत ने पूर्व में अपनी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने से इनकार करने के लिए केंद्र और भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) को फटकार लगाई थी और कहा था कि समुद्री बल को एक ऐसी नीति बनानी चाहिए, जो महिलाओं के साथ 'निष्पक्ष' व्यवहार करे. 


सुप्रीम कोर्ट में भारतीय तटरक्षक अधिकारी प्रियंका त्यागी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की जा रही है. याचिका में पूछा गया था कि जब भारतीय नौसेना महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दे रही है, तो आईसीजी ऐसा क्यों नहीं कर सकता. 


जेंडर न्यूट्रल पॉलिसी लाने पर विचार करे केंद्र- सुप्रीम कोर्ट    


गौरतलब है क‍ि सुप्रीम कोर्ट ने गत 19 फरवरी को भारतीय तटरक्षक बल (ICG) में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं द‍िए जाने के मामले में तीखी टिप्पणियां की थीं. शीर्ष अदालत ने कहा था क‍ि जब सेना और नौसेना महिलाओं को स्थायी कमीशन दे रही हैं तो भारतीय तटरक्षक बल इस सीमा से बाहर नहीं जा सकता. कोर्ट ने केंद्र सरकार से जल्द ही इस मामले पर लिंग तटस्थ (जेंडर न्यूट्रल) पॉलिसी लाने पर विचार करने को भी कहा था. 
 
सीमा पर रक्षा कर सकती हैं तो तटों की भी कर सकती हैं मह‍िलाएं  


कोर्ट ने प‍िछली सुनवाई के दौरान कहा था कि अगर महिलाएं सीमा पर रक्षा कर सकती हैं तो वे तटों की भी रक्षा कर सकती हैं. कोर्ट ने महिलाओं को कम आंकने और पुरुषवादी सोच को लेकर भी गंभीर टिप्पणियां कीं थीं. कोर्ट ने केंद्र सरकार ओर से पेश हुए एडीशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बिक्रमजीत बनर्जी की दलील पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आप इतनी पुरुषवादी सोच के क्यों हैं? आप महिलाओं को कोस्ट गार्ड में नहीं देखना चाहते? जब नौसेना में महिलाएं हैं तो कोस्ट गार्ड में ऐसा क्या खास है? कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले को गहराई से देखेगा. 


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