वर्तमान और पूर्व संसद सदस्यों और विधानसभा सदस्यों के खिलाफ लंबित मामलों के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया कि ऐसे 5000 मामले में हैं, जिनमें वर्तमान या पूर्व सांसद और विधायक आरोपी हैं. याचिका में आग्रह किया गया कि कोर्ट इन मामलों का जल्द से जल्द निपटारा के लिए निर्देश जारी करे.
सांसदों/विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे की मांग वाली जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने नया हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा गया कि विधायकों का उनके खिलाफ मामलों की जांच या सुनवाई पर बहुत प्रभाव होता है और सुनवाई पूरी नहीं करने दी जाती है.
हलफनामे के अनुसार, 'यह कहा गया है कि इस न्यायालय की ओर से समय-समय पर दिए गए आदेशों और हाईकोर्ट की निगरानी के बावजूद सांसदों और विधायकों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं, जो हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक धब्बा हैं.' हलफनामे में कहा गया, 'बड़ी संख्या में मामलों का लंबित रहना, जिनमें से कुछ तो दशकों से लंबित हैं, यह दर्शाता है कि विधायकों का अपने विरुद्ध मामलों की जांच या सुनवाई पर बहुत अधिक प्रभाव है, और मुकदमे को पूरा नहीं होने दिया जाता है.'
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच सोमवार (10 फरवरी, 2025) को अश्विनी उपाध्याय की ओर से 2016 में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की अपील की गई है.
चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए विजय हंसारिया ने कहा कि वर्तमान लोकसभा के 543 सदस्यों में से 251 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, जिनमें से 170 गंभीर आपराधिक मामले हैं (जिनमें पांच साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है).
मामलों की सुनवाई में देरी के विभिन्न कारणों को रेखांकित करते हुए विजय हंसारिया ने कहा कि सांसदों और विधायकों के लिए विशेष अदालत नियमित अदालती काम करती हैं और कुछ राज्यों को छोड़कर, सांसदों और विधायकों के खिलाफ मुकदमा इन अदालतों के कई कार्यों में से एक है.
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