डिजिटल अरेस्ट के नाम पर होने वाली ठगी पर सुप्रीम कोर्ट ने 'असाधारण आदेश' जारी करने की चेतावनी दी है. अपने सख्त रवैये की झलक देते हुए कोर्ट ने एक बुजुर्ग वकील को ठगने का आरोपियों की रिहाई पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि जांच पूरी होने तक देश की कोई भी अदालत इन लोगों को जमानत न दे.

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डिजिटल अरेस्ट के नाम पर देश भर में हो रही ठगी की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को सुनवाई शुरू की थी. कोर्ट ने भोले-भाले लोगों के साथ हो रही ठगी को चिंताजनक कहा था. इसे रोकने के उपायों पर केंद्र सरकार और CBI निदेशक से जवाब दाखिल करने को कहा था. कोर्ट ने सभी राज्यों से उनके यहां दर्ज डिजिटल अरेस्ट मामलों का ब्यौरा भी मांगा था.

CBI के पास अगर संसाधनों की कमी है तो बताए- कोर्ट

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मामले की पिछली सुनवाई में कोर्ट ने संकेत दिया था कि जांच CBI को सौंपी जा सकती है. जस्टिस सूर्य कांत और जोयमाल्या बागची ने कहा था कि इस ठगी का नेटवर्क विदेशों तक फैला है. जजों ने यह भी कहा था कि अगर सीबीआई के पास संसाधनों की कमी है, तो वह इससे अवगत कराए. कोर्ट उस पर भी आदेश पारित करेगा. जजों ने अब कहा है कि वह इस मुद्दे पर 24 नवंबर, 2025 को आदेश दे सकते हैं.

अंबाला के बुजुर्ग दंपति से जुड़े मामले की सुनवाई में कोर्ट ने दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने सोमवार (17 नवंबर, 2025) को हुई सुनवाई में जजों को जानकारी दी कि उनके भी एक वरिष्ठ सदस्य इस डिजिटल स्कैम का शिकार हो गए हैं. पीड़ित वरिष्ठ वकील ने कुछ आरोपियों की पहचान की. उन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन उनका 90 दिन की हिरासत जल्द खत्म होने वाली है. इस पर जजों ने आदेश दिया कि इन आरोपियों को कोई भी अदालत फिलहाल जमानत पर रिहा न करे.

जिस मामले में कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए यह सुनवाई शुरू की है, वह अंबाला के एक बुजुर्ग दंपति से जुड़ा है. सितंबर में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का फर्जी आदेश दिखाकर एक करोड रुपये से अधिक की रकम ठग ली गई थी. कोर्ट ने मामला सुनते हुए कहा था, ‘दुर्भाग्य से यह इकलौता मामला नहीं है.’ कोर्ट ने यह भी कहा था कि देशभर में करीब 3,000 करोड़ रुपये की ठगी इस तरह की धोखाधड़ी के जरिए हो चुकी है. अगर कड़े कदम नहीं उठाए गए तो यह ठगी और बढ़ेगी.

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