बिहार में विधान परिषद उपचुनाव का परिणाम घोषित करने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक सोमवार (20 जनवरी 2025) तक जारी रहेगी. सदन में अशोभनीय बर्ताव के लिए निष्कासित सुनील सिंह की याचिका पर सुनवाई गुरुवार (16 जनवरी 2025) भी पूरी नहीं हो सकी. राष्ट्रीय जनता दल के एमएलसी रहे सुनील ने अपने निष्कासन को चुनौती दी है. उनकी मांग है कि उनकी याचिका पर पहले फैसला हो.
सदन के भीतर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अशोभनीय व्यवहार करने और उनकी नकल उतारने वाले सुनील सिंह की सदस्यता विधान परिषद की आचार समिति की सिफारिश पर रद्द कर दी गई थी. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सुनील सिंह की याचिका पर 30 अगस्त 2024 को नोटिस जारी हुआ था. कोर्ट ने विधान परिषद अध्यक्ष कार्यालय से जवाब मांगा था.
इस बीच विधान परिषद की खाली सीट पर निर्वाचन के लिए अधिसूचना जारी हो गई. इस सीट के लिए जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने इकलौता नामांकन भरा है. ऐसे में उनका निर्वचित होना तय है. सुनील सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित होने के आधार पर इस प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी. बुधवार (15 जनवरी 2025) को जस्टिस सूर्य कांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने रोक का अंतरिम आदेश जारी कर दिया था.
गुरुवार को बिहार विधान परिषद सचिवालय की तरफ से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने दलीलें रखीं. उन्होंने सुनील सिंह के अशोभनीय आचरण के बारे में चर्चा की. यह भी बताया कि विधान परिषद की आचार समिति ने सुनील सिंह को पक्ष रखने का पूरा मौका दिया. बाद में कमिटी की रिपोर्ट पर सदन में भी चर्चा हुई. इसी तरह का आचरण एक और एमएलसी मोहम्मद शोएब ने भी किया था. लेकिन उन्होंने अपने आचरण के लिए माफी मांग ली थी.
वरिष्ठ वकील ने यह भी बताया कि सदन में सुनील कुमार के दुर्व्यवहार का यह कोई पहला मामला नहीं था. इससे पहले भी उन्हें निलंबित किया गया था. समय की कमी के चलते गुरुवार को जिरह पूरी नहीं हो सकी. कोर्ट ने सोमवार को मामले पर आगे सुनवाई की बात कही है. तब तक के लिए बुधवार को जारी अंतरिम आदेश जारी रहेगा.
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