Supreme Court On Divorce: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पति के पक्ष में तलाक (Divorce) के फैसले को खारिज करते हुए कहा है कि सामाजिक स्थिति देखते हुए भारत में महिलाओं (Women) के लिए वैवाहिक स्थिति महत्वपूर्ण है. याचिकाकर्ता पत्नी ने हाईकोर्ट (High Court) से परित्याग के आधार पर दिए गए तलाक के आदेश को चुनौती दी थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पत्नी की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि देश में महिलाओं के लिए शादी का बहुत महत्व है.


जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि 18 साल से अलग रहे दंपति के लिए अब साथ रहना मुश्किल हो सकता है लेकिन जिस तरह से समाज महिलाओं के साथ व्यवहार करता है उसे देखते हुए विवाह की अवधारणा और विवाह की स्थिति काफी महत्वपूर्ण है. महिलाओं के साथ शादी का काफी महत्व है. खासकर तब जब समाज में उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है.


महिला ने पति के साथ रहने की इच्छा जताई


याचिकाकर्ता पत्नी की ओर से अदालत में पेश वकील ने कहा कि हाईकोर्ट ने विशेषरूप से ये नोट किया था कि पति के साथ कोई क्रूरता नहीं हुई थी. पत्नी ने अपने ससुराल को खुद से नहीं छोड़ा था. महिला की ओर से पति के साथ रहने की इच्छा जताई गई थी. ऐसे में हाईकोर्ट को तलाक का आदेश नहीं देना चाहिए था. तो वहीं पति के वकील ने इस बात का खंडन किया.


पति बन गया साधु


इस मामले में पति की ओर से वकील (Advocate) ने अदालत में कहा कि उनका मुवक्किल अब साधु बन गया है और वो वैवाहिक जीवन (Married Life) में वापस नहीं आना चाहता है. इस पर जस्टिस भट (Justice Bhat) ने पूछा कि अगर आपने संसार को त्याग दिया है तो सब कुछ छोड़ दिया होगा, क्या ये सही है? इसके बाद अदालत ने कहा कि हम तलाक (Divorce) के आदेश को रद्द कर देंगे इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाईकोर्ट (High Court) के आदेश के बाद पति से मिले 5 लाख रुपये भी पत्नी के पास ही रहने देने के निर्देश दिया.


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