Supreme Court On Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महाराष्ट्र मामले को तुरंत सुन पाना संभव नहीं है. कोर्ट ने कहा है कि जब तक वह सुनवाई नहीं कर लेता, तब तक विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता पर कार्रवाई स्थगित रखें. शिवसेना के उद्धव गुट के नेता सुनील प्रभु के अनुरोध पर कोर्ट ने यह निर्देश दिया है.


सुप्रीम कोर्ट में इस समय एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे खेमे की कई याचिकाएं लंबित है. इसमें से एक मामला शिंदे कैंप के 16 विधायकों की अयोग्यता का है. गर्मी की छुट्टी के दौरान 27 जून को यह मामला लगा था. तब कोर्ट ने इन विधायकों को डिप्टी स्पीकर को जवाब देने के लिए 12 जुलाई तक का समय दे दिया था. कोर्ट ने उससे 1 दिन पहले, यानी 11 जुलाई को खुद मामला सुनने की बात कही थी.


महाराष्ट्र की राजनीतिक खींचतान पर दाखिल हुई दूसरी याचिकाओं को भी कोर्ट ने 11 जुलाई को ही सुनने की बात कही थी. इस बीच राज्य में राजनीतिक स्थिति बदल चुकी है. एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए हैं और बीजेपी के राहुल नार्वेकर विधानसभा अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. नियमों के मुताबिक अब स्पीकर ही अयोग्यता के मसले पर सुनवाई करेंगे.


आज गर्मी के अवकाश के बाद पहली बार कोर्ट की सभी बेंच नियमित तरीके से बैठी. लेकिन मामला किसी भी बेंच के सामने सुनवाई की लिस्ट में नहीं लगा था. ऐसे में उद्धव कैंप के सुनील प्रभु की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामला चीफ जस्टिस के सामने रखा. माना जा रहा था कि उद्धव कैंप जल्द सुनवाई के अनुरोध करेगा. लेकिन सिब्बल ने फिलहाल स्पीकर की कार्रवाई को स्थगित करने का अनुरोध किया.


कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस की बेंच से कहा, "कल अयोग्यता का मामला विधानसभा में सुना जाएगा. आशंका है कि वह उसे खारिज कर देंगे. जब तक सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करता, तब तक स्पीकर को निर्णय लेने से रोक दिया जाए." इस पर चीफ जस्टिस ने राज्यपाल की तरफ से कोर्ट में मौजूद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह स्पीकर को सूचित कर दें कि वह फिलहाल फैसला न लें.


चीफ जस्टिस रमना ने यह भी कहा कि मामले को कल सुनवाई के लिए लगा पाना संभव नहीं होगा. यह समय लेने वाला मामला है. इसके लिए बेंच का गठन तुरंत नहीं हो सकता. चीफ जस्टिस के टिप्पणी से यही लगता है कि मामला इस हफ्ते सुनवाई के लिए लग पाने की संभावना कम ही है. अवकाश के बाद इस हफ्ते कोर्ट में बहुत अधिक मामले सुनवाई के लिए लगे हैं. ऐसे में एक साथ जुड़े महाराष्ट्र के कई मामलों के लिए विशेष रूप से बेंच का बैठना संभव नहीं होगा.


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