राहुल गांधी की तरफ से लगाए जा रहे 'वोट चोरी' के आरोपों की जांच की मांग सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है. कांग्रेस से जुड़े वकील रोहित पांडे ने यह याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ता ने राहुल के आरोपों को बेहद गंभीर बताया था और जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एसआईटी बनाने की मांग की थी.

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जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को अगर कोई समस्या है, तो उसे चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए था. 'कथित रूप से जनहित में दाखिल' इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट नहीं सुनेगा. याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया है. इस पर कोर्ट ने कहा, 'आप दूसरे कानूनी विकल्पों पर विचार करें.'

रोहित पांडेय ने अपनी याचिका में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की तरफ से 7 अगस्त को लगाए गए आरोपों को आधार बनाया था. याचिका में कहा गया था, 'यह किसी एक चुनाव की बात नहीं है. संविधान सभी वयस्क नागरिकों को वोट का अधिकार देता है. मतदाता सूची में गलत तरीके से नाम जोड़ने या हटाने से यह संवैधानिक वादा कमजोर पड़ेगा.'

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याचिकाकर्ता ने कहा था कि उसने चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह याचिका दाखिल की है. कोर्ट मतदाता सूची के स्वतंत्र ऑडिट का आदेश दे. साथ ही चुनाव आयोग से कहे कि इस ऑडिट के पूरा होने तक वह मतदाता सूचियों में कोई बदलाव न करे. कोर्ट भविष्य में वोटर लिस्ट तैयार करने, उसके रखरखाव और प्रकाशन में पारदर्शिता के लिए जरूरी निर्देश भी दे.

याचिकाकर्ता ने कहा था कि अगर मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की बात साबित होती है, तो यह संविधान के अनुच्छेद 325 और 326 में दिए 'एक व्यक्ति, एक वोट' के सिद्धांत के खिलाफ होगा. किसी को एक से ज्यादा वोट का अधिकार समानता के मौलिक अधिकार का भी हनन होगा.