इंडिगो उड़ान संकट मामले में फिलहाल दखल से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. एक वकील ने मामले को लेकर दाखिल अपनी याचिका चीफ जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने रखी. चीफ जस्टिस ने मामले को तुरंत सुनवाई के लिए लगाने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मामले में जरूरी कदम उठा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि एयरलाइंस को चलाना कोर्ट का काम नहीं है.
इंडिगो संकट को लेकर यह याचिका नरेंद्र मिश्रा नाम के वकील की है. इसमें यात्रियों को हो रही भारी परेशानी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने प्रभावित यात्रियों को उचित मुआवजा और वैकल्पिक यात्रा सुविधा देने की मांग की है.
सोमवार, 8 दिसंबर को याचिकाकर्ता ने चीफ जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच के सामने मामला रखा. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में बिना किसी सूचना के इंडिगो की उड़ानें रद्द की गई हैं. हवाई अड्डों पर यात्री फंसे हुए हैं. यह गंभीर मुद्दा है.
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, 'हम समझते हैं कि लाखों लोग एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं. उन्हें जरूरी काम होंगे. स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें होंगी, लेकिन भारत सरकार ने मामले का संज्ञान लिया है. ऐसा लगता है कि समय पर कार्रवाई की गई है. कुछ समय बाद देखते हैं कि स्थिति कैसी रहती है. अभी तुरंत सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है.'