Supreme Court on Harak Singh Rawat: उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर किशन चंद पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इन दोनों ने खुद को ही कानून मान लिया था और नियमों की उपेक्षा करते हुए जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बड़ी संख्या में पेड़ कटवा दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किशन चंद पर संगीन आरोप होते हुए भी वन मंत्री हरक सिंह रावत ने जबरन उन्हें डीएफओ नियुक्त करवाया था. पूरा मामला नेता और नौकरशाहों की मिलीभगत का उदाहरण है.


इस मामले पर आगे टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई पहले से जांच कर रही है. वह दूसरे लोगों की भूमिका की भी जांच करे और 3 महीने में स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपे. सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के बफर जोन में टाइगर सफारी बनाने की भी मंजूरी दी है. कोर्ट ने कहा है कि विस्तृत आदेश में इसके लिए जरूरी शर्तें बताई जाएंगी.


क्या है मामला?


दरअसल, चिड़ियाघर से बाघ लाकर सफारी के नाम पर उन्हें बफर जोन में रखने और कॉर्बेट पार्क में हुए अवैध निर्माण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. साल 2021 में हरक सिंह रावत के वन मंत्री रहते हुए कालागढ़ रेंज में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हुई थी. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी इसी मामले की सुनवाई के दौरान आई है. 


भारतीय जनता पार्टी से निष्कासित होने के बाद हरक सिंह रावत जनवरी 2022 में फिर से कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ गए थे. 2022 के विधानसभा चुनावों के ठीक पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीष रावत ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई थी. मालूम हो कि हरक सिंह रावत 2017 तक कांग्रेस पार्टी में ही थे, लेकिन साल 2017 में वो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे और चुनाव बाद बीजेपी की सरकार में मंत्री भी बनाए गए. 


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