SC On Hate Speech Case: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (20 फरवरी) को हेट स्पीच मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में धार्मिक सभाओं में दिए गए नफरती भाषणों के एक मामले में चार्जशीट फाइल करने को कहा है. जिस पर दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कोर्ट को बताया कि मामले की जांच एडवांस स्टेज में है.

नटराज ने भारत के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से कहा, "वह अभियुक्तों के वॉइस सैंपल पर एक फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. पुलिस जल्द ही इस मामले में चार्जशीट दाखिल करेगी." पीठ ने अपने आदेश में कहा, "अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि जांच अब अंतिम चरण में है. फॉरेंसिक प्रयोगशाला से आवाज के नमूने की रिपोर्ट जल्द आने की संभावना है. आरोपपत्र की एक प्रति रिकॉर्ड पर रखी जाए. मामले पर अप्रैल के पहले सप्ताह में सुनवाई होगी."

'अंतिम चरणों में है जांच रिपोर्ट'

इससे पहले 30 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था, "2021 के नफरती भाषणों के मामले की जांच काफी हद तक पूरी हो चुकी है और जल्द एक अंतिम जांच रिपोर्ट दाखिल की जाएगी." शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस से मामले में अब तक उठाए गए कदमों के विवरण के साथ एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था. कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में FIR दर्ज करने में देरी और जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं होने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए जांच अधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी. 

हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम से जुड़ा मामला

नफरती भाषण का मामला दिसंबर 2021 में ‘सुदर्शन न्यूज’ के संपादक सुरेश चव्हाणके के नेतृत्व में दिल्ली में आयोजित एक हिंदू युवा वाहिनी कार्यक्रम से जुड़ा है. समाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी ने उत्तराखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी. तुषार गांधी की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा था, "पुलिस ने इस तरह के घृणा भाषणों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया." 

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई थी फटकार 

कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में FIR दर्ज करने में देरी और जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं होने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए जांच अधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी. बेंच ने पिछले साल 11 नवंबर को उत्तराखंड सरकार और उसके पुलिस प्रमुख को अवमानना याचिका के पक्षकारों की सूची से मुक्त कर दिया था. याचिका में दावा किया गया है कि घटना के ठीक बाद भाषण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध थे, लेकिन उत्तराखंड पुलिस और दिल्ली पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. याचिका में आरोप लगाया गया है कि 17 दिसंबर से 19 दिसंबर 2021 तक हरिद्वार में और 19 दिसंबर 2021 को दिल्ली में आयोजित ‘धर्म संसद’ में नफरती भाषण दिए गए थे.

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