जयपुर के ऐतिहासिक जल महल झील की दुर्दशा पर चिंता जताई है. कोर्ट ने झील के पास नाईट मार्किट बसाने और वेंडिंग गतिविधियों पर अंतरिम रोक लगा दी है. कोर्ट ने झील में सीवेज और दूसरी गंदगी के प्रवाह को रोकने के लिए CSIR – नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) के विशेषज्ञों की कमिटी बनाने को कहा है.

जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा है कि झील क्षेत्र के विकास के नाम पर चलाई जा रही योजना तब तक लागू न की जाए, जब तक NEERI की रिपोर्ट नहीं आ जाती. कोर्ट ने जयपुर हेरिटेज नगर निगम को इस आदेश के अमल पर 21 मार्च तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. 24 मार्च को मामले की अगली सुनवाई होगी.

जजों ने कहा कि नगर निगम के उपेक्षापूर्ण और लापरवाह रवैये ने जल महल जैसी ऐतिहासिक धरोहर को बहुत नुकसान पहुंचाया है. सुनवाई में जयपुर हेरीटेज नगर निगम के कमिश्नर भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े थे. उनकी कुर्सी के पीछे स्मार्ट सिटी का बैनर लगा था. जजों ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर जल महल झील जैसी ऐतिहासिक बर्बाद कर दिया गया तो जयपुर स्मार्ट शहर कैसे बनेगा?

 

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