नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र पुलिस सवालों के घेरे में है. कल सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता वरवर राव, वेरनन गोंसाल्विज, अरूण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है और यदि आप इन सेफ्टी वाल्व की इजाजत नहीं देंगे तो यह फट जायेगा. कोर्ट ने सभी पांच लोगों को छह सितंबर तक घर में नजरबंद रखने का आदेश दिया.


1. महाराष्ट्र पुलिस सभी पांच लोगों की रिमांड की मांग कर रही थी. जिसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रिमांड पर रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने पुलिस के इरादों पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘यह (गिरफ्तारी) वृहद मुद्दा है. उनकी (याचिकाकर्ताओं की) समस्या असहमति को दबाना है. भीमा-कोरेगांव के नौ महीने बाद, आप गये और इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया.’’


2. अदालत में वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन, इंदिरा जयसिंह, दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण और वृंदा ग्रोवर ने महाराष्ट्र पुलिस की कार्रवाई का कड़ा विरोध किया.


3. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पुणे पुलिस ने कहा कि उसके पास ऐसे ‘‘साक्ष्य’’ हैं, जिनसे पता चलता है कि ‘‘आला राजनीतिक पदाधिकारियों’’ को निशाना बनाने की साजिश थी. पुलिस ने यह भी दावा किया कि सबूत से पता चलता है कि गिरफ्तार लोगों के कश्मीरी अलगाववादियों से संबंध थे. पुणे के संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) शिवाजीराव बोडखे ने ऐसे साक्ष्य होने का भी दावा किया जिससे पता चलता है कि गिरफ्तार किए गए लोगों के तार कश्मीरी अलगाववादियों से जुड़े थे.


4. महाराष्ट्र पुलिस उपायुक्त शिरीष सरदेशपांडे ने कहा,‘‘इकट्टा किये गये कुछ सबूतों से पता चलता है कि उनकी साजिश ‘आला राजनीतिक पदाधिकारियों’ को निशाना बनाने की थी. उन्होंने कहा कि कुछ सबूत से पता चलता है कि वे (गिरफ्तार लोग) अन्य गैरकानूनी संगठनों के साथ मिले हुए हो सकते है.


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5. शिरीष सरदेशपांडे ने कहा कि मुम्बई, ठाणे, रांची,हैदराबाद, नयी दिल्ली और फरीदाबाद समेत कुल नौ स्थानों पर छापे की कार्रवाई की गई. हार्ड डिस्क,लैपटॉप, मेमोरी कार्ड,मोबाइल फोन और अन्य ‘आपत्तिजनक’ दस्तावेज इन स्थानों से बरामद किये गये थे. पुणे पुलिस राव, गॉन्जैल्विस और फेरेरा को मंगलवार रात को लेकर आई और एक स्थानीय अदालत में पेश किया.


6. महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को देशव्यापी कार्रवाई करके हैदराबाद से तेलुगू कवि वरवर राव को गिरफ्तार किया था जबकि वेरनन गोंसाल्विज और अरूण फरेरा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था. इसी तरह पुलिस ने ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को हरियाणा के फरीदाबाद और सिविल लिबर्टी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नई दिल्ली से गिरफ्तार किया था.


7. पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एल्गार परिषद’ नाम के एक कार्यक्रम के बाद पुणे के पास कोरेगांव-भीमा गांव में दलितों और अगड़ी जाति के पेशवाओं के बीच हुई हिंसा की जांच के सिलसिले में पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की.


8. सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्षी दलों के राजनेता और मानवाधिकार संगठनों ने पुलिस की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बयाया है और अघोषित इमरजेंसी करार दिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि आज बंदूक के बल पर आवाज दबाने की कोशिश हो रही है. गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नौलखा ने बुधवार को कहा कि यह पूरा मामला इस कायर और प्रतिशोधी सरकार की राजनीतिक असहमति के खिलाफ एक राजनीतिक चाल है.


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9. बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने केंद्र की मोदी सरकार पर निरकुंश होने और सत्ता का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ''दलितों के स्वाभिमान से जुड़े महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव (पुणे) में बीती जनवरी में आयोजित द्विशताब्दी कार्यक्रम की सफलता बीजेपी सरकार को पसंद नहीं आई. इसलिए वहां हिंसा फैलाई गई और अब उसकी आड़ में देश के दलितों, आदिवासियों के हक के लिए संघर्ष करने वाले बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया.''


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10. बीजेपी ने पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर कहा कि ये लोग नक्सलियों के समर्थक रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि वरवरा राव, वेरनॉन गोंजाल्विस और गौतम नवलखा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दुलारे हैं और नक्सलियों की दुकान चलाते हैं.

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