नई दिल्ली: देश में सैनिटाइजर और मास्क के महंगी कीमतों पर बिकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने आज सरकार से उस याचिका पर भी जवाब देने को कहा है जिसमें डॉक्टरों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण मुहैया करवाने की मांग की गई. बेहद जरूरी मामलों की सुनवाई करने के लिए बैठ रहे सुप्रीम कोर्ट की आज की पूरी कार्रवाई कोरोना के इर्द-गिर्द रही.


आज भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई


आज भी सुप्रीम कोर्ट ने सारा कामकाज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया. सुबह 11 बजे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह बैठे. दोपहर 2 बजे जस्टिस नागेश्वर राव और अब्दुल नजीर सभी मामलों में जजों ने अपने घर पर बने दफ्तर से सुनवाई की. वहीं वकीलों ने अपने अपने दफ्तरों से जजों को संबोधित किया.


ईरान से वापस लाए गए तीर्थ यात्री


पहली अहम सुनवाई ईरान में फंसे 800 भारतीय तीर्थ यात्रियों के मसले पर हुई. ईरान के क़ोम शहर में फंसे शिया मुस्लिम तीर्थ यात्रियों के मसले पर पिछले हफ्ते कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था. आज केंद्र ने कोर्ट को बताया कि ज़्यादातर लोगों को वापस के आया गया है. इस पर याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि 250 लोगों को कोरोना पॉज़िटिव होने की आशंका के चलते नहीं लाया गया है. उन्हें भी लाया जाना चाहिए. सरकार की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन लोगों तक ज़रूरी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं. स्थिति के हिसाब से आगे फैसला लिया जाएगा. कोर्ट ने भी इससे सहमति जताई.


डॉक्टरों की सुरक्षा पर मांगा जवाब


आज कोर्ट ने कोरोना से लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर डटे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मान्य सुरक्षित कपड़े और उपकरण उपलब्ध करवाने की मांग पर सरकार से जवाब मांगा. इस बारे में याचिका नागपुर के रहने वाले डॉक्टर जेरिल बनेट ने दाखिल की है. सरकार की तरफ सॉलिसीटर जनरल ने जजों को बताया कि इस दिशा में तेज़ी से काम हो रहा है. जजों ने सरकार को स्थिति पर जानकारी देने को कहा है. अगले हफ्ते मामला फिर सुना जाएगा.


सैनिटाइजर की महंगी कीमत पर नोटिस


मास्क और सैनिटाइजर की कालाबाज़ारी के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आज नोटिस जारी किया. मामले पर शुक्रवार, 3 अप्रैल को आगे की सुनवाई होगी. वीडियो लिंक में दिक्कत आने के चलते जस्टिस नागेश्वर राव और अब्दुल नज़ीर ने व्हाट्सएप्प वीडियो चैट के ज़रिए याचिकाकर्ता ‘जस्टिस फ़ॉर राइट फाउंडेशन’ के प्रतिनिधि की बातों को सुना. याचिकाकर्ता ने बताया कि सरकार ने सैनिटाइजर और मास्क की कीमत तय कर दी लेकिन उसके आगे कदम नहीं उठाए. यह नहीं देखा कि उस कीमत पर यह ज़रूरी चीज़े उपलब्ध हो रही हैं या नहीं. लोग मुंहमांगी कीमत पर इन्हें खरीदने को मजबूर हैं. सरकार तुरंत वाजिब कीमत पर इन्हें उपलब्ध करवाए. ज़रूरतमंदों को मुफ्त में भी इन्हें दिया जाए.


आर्थिक आपातकाल की मांग पर अभी सुनवाई नहीं


हालांकि, कोरोना के मद्देनजर देश में आर्थिक आपातकाल लागू करने की मांग पर आज आज सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया. CASC नाम की संस्था का कहना था कि इस समय पूरे देश में एक जैसी व्यवस्था ज़रूरी है. इसलिए, संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत आर्थिक आपातकाल की घोषणा की जानी चाहिए. जजों ने कहा- “केंद्र और राज्य सरकारें बीमारी की रोकथाम के लिए ज़रूरी कदम उठा रही हैं. मौजूदा हालात में इस तरह की मांग पर विचार करना सही नहीं होगा.“ मामला अब 2 हफ्ते बाद लगेगा.


दो और याचिकाओं को सुनने पर सहमति


आज कोर्ट ने कोरोना से जुड़े 2 और मामलों पर भी सुनवाई के लिए सहमति जताई. एक याचिका वकील शशांक देव सुधि की तरफ से दायर की गई है. इसमें कहा गया है कि कोरोना की जांच के लिए प्राइवेट लैब को इजाजत देने वाली अधिसूचना गलत है. इसमें टेस्ट की कीमत 4500 रुपये तक रखी गई है. यह टेस्ट मुफ्त में या वाजिब कीमत पर होना चाहिए.


दूसरी याचिका सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज की है. इसमें कहा गया है को लॉकडाउन के चलते दौरान मजदूर और स्वरोजगार करने वाले गरीबों के पास कमाई का कोई जरिया नहीं है. इसलिए, सरकार उन्हें उनका वेतन या न्यूनतम आमदनी मुहैया करवाए. दोनों ही याचिकाओं को उनसे जुड़े वकीलों ने कोर्ट के सामने रखा और सुनवाई की दरखास्त की. कोर्ट ने वकीलों को इन याचिकाओं पर जल्द सुनवाई का आश्वासन दिया है.