EVM-VVPAT Case: सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव या ईवीएम (EVM) के जरीए डाले गए पर्चियों का वीवीपीएटी से परी तरह सत्यापन करने की मांग वाली याचिकाओं पर बुधवार (24 अप्रैल) को अपना फैसला सुरक्षित रखा. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को ही पूरी कर ली थी, लेकिन जजों ने कुछ और पहलुओं पर चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण लेने के लिए 24 अप्रैल को फिर सुनवाई की.


जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने बुधवार सुबह चुनाव आयोग से कुछ और सवाल पूछे. कोर्ट ने आदेश दिया कि चुनाव आयोग के अधिकारी दोपहर 2 बजे उपस्थित होकर जवाब दें. चुनाव आयोग की तरफ से डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर नितेश व्यास ने पेश होकर सभी सवालों के जवाब दिए.


कोर्ट के सवाल और चुनाव आयोग के जवाब


सवाल- माइक्रो कंट्रोलर EVM सिस्टम के कंट्रोल यूनिट में होता है या VVPAT मशीन में?
जवाब- माइक्रो कंट्रोलर तीनों यूनिट में होता है.


सवाल- माइक्रो कंट्रोलर एक ही बार प्रोग्रामेबल होता है या उसे दोबारा प्रोग्राम कर सकते हैं?
जवाब- सबको सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है. कंट्रोलर को बाहर से प्रभावित नहीं किया जा सकता है. उसे बदला भी नहीं जा सकता. एक बार इस्तेमाल के बाद हम कंट्रोल चिप को नष्ट कर देते हैं.


सवाल- आपके पास कितने सिंबल लोडिंग यूनिट हैं? क्या उनकी संख्या बढ़ा सकते हैं?
जवाब- EVM बनाने वाले दोनों PSU के पास लगभग 4800 सिंबल लोडिंग यूनिट हैं. अगर जरूरत हो तो संख्या बढ़ाई जा सकती है.


सवाल- आप मतदान से जुड़ा डेटा 30 दिन सुरक्षित रखते हैं या 45 दिन तक?
जवाब- 45 दिन तक स्ट्रांग रूम में मशीनों और उनके आंकड़े को सुरक्षित रखा जाता है. 46वें दिन हाई कोर्ट से पता करते हैं कि क्या किसी सीट को लेकर कोई चुनाव याचिका दाखिल हुई है. ऐसा होने पर वहां का आंकड़ा सुरक्षित रखते हैं.


सवाल- क्या EVM की तीनों यूनिट की एक साथ सीलिंग होती है या कंट्रोल यूनिट और VVPAT को अलग रखा जाता है?
जवाब- चुनाव के बाद वीवीपीएटी को भी बाकी के साथ ही सील कर रखा जाता है. चुनाव से पहले भी जब मशीनों को मतदान के लिए कमीशन किया जाता है, तब उनको साथ ही रखते हैं.


इस सवाल-जवाब के बाद भी याचिकाकर्ता पक्ष के वकीलों ने कई सवाल उठाए. प्रशांत भूषण ने कहा कि कंट्रोल चिप में फ्लैश मेमोरी भी होती है, जो रीप्रोग्रामेबल होती है. इस पर चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि आयोग एक बार के बाद चिप को नष्ट कर देता है.


'हम पूरे चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकते'


प्रशांत भूषण ने वीवीपीएटी चिप के प्रभावित होने की आशंका जताई. इस पर जस्टिस खन्ना ने उन्हें याद दिलाया कि चिप की फ्लैश मेमोरी 4 मेगाबाइट है. यह सॉफ्टवेयर नहीं, सिंबल रखता है. यह प्रोग्राम नहीं, सिर्फ इमेज फाइल होती है. प्रशांत भूषण ने कहा कि उसमें गलत सॉफ्टवेयर डाल कर मतदान को प्रभावित किया जा सकता है.


इस पर जस्टिस दत्ता ने कहा कि ऐसी बात होगी, तो उसके लिए भी कानून है. हम पूरे चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकते. उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. वह चुनाव से जुड़ी प्रक्रिया के हर कदम की निगरानी करता है.


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