Supreme Court Hearing On Asaram Bapu: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (01 मार्च) को दुष्कर्म के मामले में जेल की सजा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम को तगड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य के आधार पर अपनी सजा निलंबित करने की मांग की थी. याचिका पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई हुई. आसाराम की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने खराब सेहत का हवाला देते हुए सजा निलंबित करने की गुहार लगाई.


'आसाराम को पड़ रहा है दिल का दौरा'


रोहतगी ने कहा कि आसाराम को दिल का दौरा पड़ रहा है और वह ओपन हार्ट सर्जरी का जोखिम नहीं लेना चाहते. उन्होंने यह भी कहा कि हिरासत में रहते हुए आसाराम इलाज करवाने को तैयार हैं, लेकिन उनकी सजा निलंबित कर दी जानी चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया. न्यायाधीशों ने आसाराम के वकीलों से राहत के लिए राजस्थान हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा.


'आसाराम के मामले में कानून के मुताबिक विचार किया जाएगा'


रोहतगी ने कहा कि आसाराम पुलिस हिरासत में महाराष्ट्र के खोपोली में माधवबाग हार्ट हॉस्पिटल में इलाज करा सकते हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजस्थान हाई कोर्ट में आवेदन करिए. वहां कानून के मुताबिक विचार किया जाएगा. न्यायमूर्ति खन्ना ने इस बात का भी जिक्र किया कि आसाराम ने मामले में उनकी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ हाई कोर्ट के समक्ष अपील की सुनवाई में जानबूझकर देरी की.


क्या है मामला?
आसाराम के नाम से मशहूर आसुमल हरपलानी को 2018 में जोधपुर की विशेष POCSO अदालत ने 2013 में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने सहित कई अपराधों के लिए दोषी ठहराया था. इस मामले में उन्हें सजा दी गई थी. 2013 में 33 वर्षीय एक महिला के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के लिए उन्हें 2023 में एक अन्य मामले में भी आजीवन कारावास की सजा दी गई है.


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