पराली जलाना जारी रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने बुधवार (17 सितंबर, 2025) को कहा है कि इसे रोकने में असफल रहने वाले अधिकारियों को दंडित करना काफी नहीं है. अब समय आ गया है कि पराली जलाने वाले किसानों को भी इसका परिणाम उठाने दिया जाए. कोर्ट ने सरकार से पराली जलाने वाले किसानों को सजा देने का प्रावधान बनाने पर विचार करने को कहा.
हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जलने वाली पराली दिल्ली-एनसीआर को धुएं की चादर में ढंक लेती है. इस प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर निर्देश जारी किए हैं. इसमें किसानों को पराली को खेत से हटाने के लिए मशीनें उपलब्ध करवाने, जागरूकता फैलाने और पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहित करने वाले उपाय अपनाने जैसी बातें शामिल हैं. अब कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए कहा है कि सिर्फ प्रोत्साहित करना काफी नहीं है, सजा का प्रावधान भी होना चाहिए.
पराली जलाने की घटनाएं पहले से कम
कोर्ट ने यह बातें तब कहीं, जब पंजाब सरकार के वकील ने दावा किया कि पराली जलाने की घटनाएं पहले से कम हुई हैं. इसके जवाब में मामले में एमिकस क्यूरी के तौर पर कोर्ट की सहायता कर रही वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि पिछले साल उसी समय पराली जलाई गई, जब निगरानी करने वाले उपग्रह वहां नहीं थे. किसानों को यह जानकारी कहीं से मिल रही थी और वह उसके मुताबिक काम कर रहे थे.
किसानों को सजा देने की पैरवी कर रहे जजों का ध्यान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने इस ओर दिलाया कि अब तक किसानों को दंडित न करने की नीति रही है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, 'अगर कुछ लोग जेल जाएंगे तो इससे सही संदेश जाएगा. अगर आपका इरादा सचमुच पर्यावरण की रक्षा है तो फिर हिचकना क्यों? किसान सबके लिए विशेष हैं. उन्हीं के कारण हम भोजन करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पर्यावरण की रक्षा छोड़ दी जाए.'
पराली जलाने की घटनाओं पर कोर्ट की नाराजगी
पिछले साल भी कोर्ट ने पराली जलाने की घटनाओं पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि यह न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि नागरिकों के जीवन के अधिकार का भी हनन है. बुधवार को हुई सुनवाई में बेंच के सदस्य जस्टिस चंद्रन ने कहा कि सरकार किसानों को पराली जलाने से हतोत्साहित करने का प्रावधान बनाने पर विचार करे, नहीं तो कोर्ट खुद इस पर आदेश जारी करेगा.
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