Rana Ayyub Money Laundering Case: सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार राणा अय्यूब की याचिका खारिज कर दी है. अय्यूब ने गाजियाबाद की कोर्ट से जारी समन को चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह गाजियाबाद की कोर्ट में ही अपनी बात रखें. राणा अय्यूब को यह समन लोगों से दान के नाम पर लिए करोड़ों रुपयों के गबन के लिए जारी किया गया है. उनकी दलील थी कि मामला गाजियाबाद कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस दलील का विरोध किया था.


31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी रामसुब्रमन्यम और जेबी पारडीवाला की बेंच ने राणा अय्यूब की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा था. सुनवाई के दौरान ED ने बेंच को बताया था कि राणा अय्यूब ने ऑनलाइन क्राउड-फंडिंग ऐप, 'केटो' के जरिये अभियान चलाकर आम जनता से लगभग 2 करोड़ 70 लाख रुपये लिए. यह चंदा कोविड से प्रभावित असम, बिहार और महाराष्ट्र के गरीबों की मदद के नाम पर लिया गया, लेकिन उन्होंने रकम को अपने पिता और बहन के खाते में ट्रांसफर कर दिया.


राणा अय्यूब ने कोर्ट में क्या दलील दी?


ED ने बताया था कि उसने जांच के बाद गाजियाबाद कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है. इसी के आधार पर कोर्ट ने यह समन जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट को इस कार्रवाई पर रोक नहीं लगानी चाहिए. राणा अय्यूब की दलील थी कि उनका बैंक खाता नवी मुंबई में है. अगर कोई अपराध हुआ भी है तो उस पर मुंबई की कोर्ट में सुनवाई हो सकती है. ED ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के कई लोगों ने चंदा दिया था, इसलिए यहां भी सुनवाई  हो सकती है.


सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?


सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 3 के तहत अपराध का 6 तरीके से वर्गीकरण किया गया है. सुप्रीम कोर्ट राणा अय्यूब याचिका को खारिज कर रहा है. वह गाजियाबाद की कोर्ट में ही साबित करें कि अपराध का कोई भी हिस्सा गाजियाबाद से जुड़ा नहीं है.


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