यूपी के संभल में अपनी फैक्ट्री पर बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एक याचिकाकर्ता की याचिका सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह हाईकोर्ट में अपनी बात रखे.
 
संभल के मोहम्मद गयूर का कहना था कि 10 और 11 जनवरी को उनके फैक्ट्री पर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया. संभल प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई से पहले न तो कोई नोटिस दिया, न उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया. याचिका में संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया, एसडीएम, CDO और तहसीलदार को पक्षकार बनाकर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी.
 
13 नवंबर 2024 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया था कि कोर्ट ने अवैध निर्माण के आरोपी को नोटिस जारी करने और अपना पक्ष रखने का मौका देने की बात कही थी, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने याचिका को सुनने से मना करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अपनी बात इलाहाबाद हाईकोर्ट में रख सकते हैं.
 
याचिकाकर्ता की दलील थी कि जिस फैक्ट्री को तोड़ा गया,वही उनकी आमदनी का इकलौता जरिया थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनकी याचिका सुनने में हाईकोर्ट सक्षम है. उन्हें वहीं अपनी बात रखनी चाहिए. ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर के आदेश में यह भी साफ किया था कि सार्वजनिक जमीन, सड़क, रेलवे ट्रैक या जलाशय जैसी जगहों पर बने किसी अवैध निर्माण को हटाने के लिए प्रशासन स्वतंत्र है.