बिहार के मुख्य सचिव ने गुरुवार (30 अक्टूबर, 2025) को राज्य में जारी विधानसभा चुनाव के चलते सुप्रीम कोर्ट से आवारा कुत्तों के मामले में व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी है. कोर्ट ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी. कोर्ट ने कहा कि चुनाव के संचालन में मुख्य सचिव की कोई विशेष भूमिका नहीं है. कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में तीन नवंबर को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है. बिहार के मुख्य सचिव इसी से छूट मांग रहे थे.

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27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले को लेकर अपना जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर सभी राज्यों को फटकार लगाई थी और आदेश दिया था कि तीन नंबर को सभी राज्यों के मुख्य सचिव पेश होंगे. हालांकि, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को इससे छूट मिली है क्योंकि दोनों राज्य हलफनामा दाखिल कर चुके हैं. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा था कि अगस्त में उसने राज्यों को हलफनामा दाखिल करने को कहा था. दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन राज्यों ने अब तक हलफनामा दाखिल नहीं किया है.

जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने आदेश में कहा था कि मुख्य सचिवों को यह स्पष्ट करना होगा कि अब तक जवाब दाखिल क्यों नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और एमसीडी ने ही अब तक जवाब दाखिल किया है. कोर्ट ने कहा कि अगर अधिकारी अगली सुनवाई की तारीख पर उपस्थित नहीं होते हैं, तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा या दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर से आगे बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया था और उन्हें जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया था. हालांकि, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने आदेश में बदलाव कर दिया था.

आवारा कुत्तों से जुड़ा मुद्दा तब सुर्खियों में आया, जब 11 अगस्त को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने दिल्ली के नगर निगम अधिकारियों को आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनके लिए आठ हफ्तों में 5,000 की कपेसिटी वाले शेल्टर बनाने का आदेश दिया था.

आदेश में कुत्तों को फिर से सड़कों पर छोड़े जाने पर रोक लगाई गई थी और उनकी नसबंदी, टीकाकरण और डि-वॉर्मिंग अनिवार्य किया गया. यह भी निर्देश दिया गया कि शेल्टर में सीसीटीवी, पर्याप्त स्टाफ, खाने और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं उपलब्ध हों. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का एनिमल लवर्स ने विरोध किया.

इसके बाद यह मामला जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया. बेंच ने 22 अगस्त को 11 अगस्त के आदेश में संशोधन किया और आदेश दिया कि कुत्तों को शेल्टर से डि-वॉर्म और टीकाकरण के बाद छोड़ा जाएगा. इसके साथ ही, मामले का दायरा पूरे भारत में बढ़ा दिया गया.