अपनी 12 साल की बेटी से रेप के बाद हत्या करने के अलावा 3 बच्चों और पत्नी को भी जान से मारने वाले अपराधी की फांसी सुप्रीम कोर्ट ने माफ कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए अस्थिर बचपन के चलते रही मानसिक समस्या, अपने कृत्य पर पछतावे और जेल में अच्छे आचरण को आधार बनाया है. केरल के रहने वाले रेजी कुमार ने अपनी बड़ी बेटी के अलावा जिन 3 बच्चों की हत्या की थी, उनकी उम्र सिर्फ 10, 9 और 3 साल थी. पत्नी लिसी समेत 5 लोगों की हत्या की इस वारदात को उसने 2008 में 10-12 दिन के अंतराल में अंजाम दिया था. सोचे-समझे तरीके से की गई इन हत्याओं के लिए 2010 में पलक्कड़ के सेशंस कोर्ट ने उसे फांसी की सज़ा दी थी. 2014 में केरल हाई कोर्ट ने भी सज़ा को बरकरार रखा.
मेडिकल जांच में सामने आई ये बात
दोनों ही अदालतों ने पाया कि दोषी को अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं था. एक दूसरी महिला से अंतरंग संबंध होने के बाद उसने अपने पूरे परिवार को खत्म कर दिया. मेडिकल जांच में इस बात की भी पुष्टि हुई कि 12 साल की बड़ी बेटी के साथ उसने पहले कई बार शारीरिक संबंध बनाया था. उसकी हत्या से पहले भी उसका रेप किया था. सेशंस कोर्ट और हाई कोर्ट ने रेजी कुमार के अपराध को दुर्लभतम (रेयरेस्ट ऑफ रेयर) की श्रेणी में रखते हुए मृत्युदंड के लायक माना.
फांसी की सज़ा निरस्त
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ, संजय करोल और संदीप मेहता की बेंच ने अब फांसी की सज़ा निरस्त कर दी है. जजों ने कहा है कि उसने करीब 17 साल जेल में रहने के दौरान आदर्श कैदी की तरह आचरण किया, उसके बर्ताव में स्पष्ट तौर पर सुधार देखने को मिला है, उसने गरीब कैदियों को जमानत में मदद के लिए 83 हज़ार रुपए की मदद की. साथ ही, उसकी मानसिक जांच रिपोर्ट बताती है कि वह अस्थिर बचपन और संभावित यौन उत्पीड़न के चलते मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ नहीं था.
जजों ने भले ही रेजी कुमार की फांसी की सज़ा निरस्त कर दी हो, लेकिन उसके अपराध की गंभीरता को देखते हुए उसे जेल से बाहर आने लायक नहीं माना है. कोर्ट ने उसे अंतिम सांस तक जेल में रखने का आदेश दिया है.
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