नई दिल्लीः प्रवासी मज़दूरों को राहत पर सुप्रीम कोर्ट ने आज विस्तृत आदेश जारी किया. कोर्ट ने महामारी के रहने तक प्रवासी मज़दूरों को मुफ्त राशन और भोजन उपलब्ध करवाते रहने का आदेश दिया गया है. इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह 31 जुलाई तक असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए राष्ट्रीय पोर्टल तैयार कर ले. मज़दूरों के रजिस्ट्रेशन का काम इस साल 31 दिसंबर तक पूरा करने का भी आदेश कोर्ट ने दिया है.


केंद्र का रवैया 'अक्षम्य'


2018 में स्पष्ट आदेश के बावजूद अब तक असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटा बेस तैयार न किए जाने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. जस्टिस अशोक भूषण और एम आर शाह की बेंच ने कहा है कि देश के कुल कर्मचारियों का 94 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र के मजदूर हैं. इनमें से कई दूसरे शहरों या राज्यों में काम करते हैं. समाज का यह सबसे निर्धन वर्ग लंबे अरसे से इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि उसे पहचान मिले. उसका रजिस्ट्रेशन हो. जिससे वह अपने लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ ले सके. ऐसे में श्रम और रोजगार मंत्रालय का ढीला रवैया अक्षम्य है. यह दिखाता है कि उसे प्रवासी मज़दूरों की चिंता नहीं है.


दिल्ली और दूसरे राज्यों को नसीहत


कोर्ट ने एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना लागू न करने वाले राज्यों पर भी असंतोष जताया है. सुनवाई के दौरान दिल्ली ने दावा किया था कि उसने यह योजना लागू कर दी है. प्रवासी मज़दूरों को इसके तहत राशन दिया जा रहा है. लेकिन केंद्र ने बताया था कि दिल्ली के सिर्फ एक छोटे से हिस्से सीमापुरी वार्ड में योजना लागू की गई है. जजों ने अपने फैसले में इस बात को दर्ज किया है. फैसले में आगे लिखा गया है कि मजदूर देश मे कहीं भी जाए, वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन का हकदार है. इस कानून के तहत केंद्र से अनाज ले रहे राज्य उसे राशन से वंचित नहीं कर सकते. कोर्ट ने सभी राज्यों से कहा है कि वह 31 जुलाई तक अपने यहां 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' लागू कर दें.


महामारी तक मिलता रहे मुफ्त राशन
 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य इस राशन के वितरण को लेकर योजना बनाएं ताकि इसे ज़रूरतमंदों तक पहुंचाया जा सके. कोर्ट ने यह भी कहा है कि राशन की इस व्यवस्था और सामुदायिक रसोई के ज़रिए मुफ्त भोजन उपलब्ध करवाने को तब तक जारी रखा जाए, जब तक महामारी है.


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