Electoral bonds News:  सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2019 से राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने के भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अनुरोध को खारिज कर दिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा के साथ पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया, जिसमें बैंक को 12 मार्च (मंगलवार) शाम 5:00 बजे तक विवरण का खुलासा करने का आदेश दिया गया है.


बार एसोसिएशन ने की राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग


अब इस पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी बड़ा कदम उठाया है. संगठन की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इस फैसले पर रोक के लिए प्रेसिडेंशियल रेफरेंस की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश सी अग्रवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपील की है कि वह ( राष्ट्रपति) इस मामले में हस्तक्षेप करें और मामले की दोबारा सुनवाई होने तक फैसले को रोकें. बार एसोसिएशन कैसे कम को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है.


वेबसाइट पर भी पब्लिश करनी होगी जानकारी
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग को 15 मार्च को शाम 5 बजे तक बैंक द्वारा शेयर किए गए डिटेल को अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर पब्लिश करने का भी निर्देश दिया.
सुनवाई के दौरान, पीठ ने SBI की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की दलीलों पर ध्यान दिया कि विवरण एकत्र करने और मिलान के लिए अधिक समय की आवश्यकता है क्योंकि जानकारी इसकी शाखाओं में दो अलग-अलग कक्षों में रखी गई थी.


'हमने मिलान करने का निर्देश नहीं दिया'


पीठ ने आगे कहा कि अगर मिलान प्रक्रिया को खत्म करना है तो SBI तीन सप्ताह के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा कर सकता है. पीठ ने कहा कि उसने SBI को चंदा देने वालों और चंदा प्राप्त करने वालों के विवरण का अन्य जानकारी से मिलान करने का निर्देश नहीं दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा, SBI को सिर्फ सीलबंद लिफाफा खोलना है, विवरण एकत्र करना है और चुनाव आयोग को जानकारी देनी है.


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