वक्फ संशोधन एक्ट मामले पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार, 20 मई को सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई टालते हुए कहा कि सबसे पहले अंतरिम राहत को लेकर उठे सवालों पर विचार होगा. इस दौरान सभी पक्षों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा.
गुरुवार (15 मई, 2025) को मामला चीफ जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच में लगा था. इससे पहले पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना इसे सुन रहे थे. नई बेंच ने मामले के आयामों को समझने की कोशिश की. उन्होंने यह साफ किया कि अंतरिम राहत को लेकर सुनवाई 2025 के वक्फ कानून के बारे में होगी. 1995 के वक्फ कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता को इसमें नहीं सुना जाएगा.
नए वक्फ कानून पर विस्तृत सुनवाई से पहले कोर्ट जिन अंतरिम मसलों पर विचार करना चाहता है, वह हैं- वक्फ बाय यूजर, वक्फ बोर्ड और काउंसिल में गैर मुस्लिम सदस्यों की मौजूदगी और वक्फ बोर्ड के दावे वाली सरकारी जमीन की पहचान.
अप्रैल में हुई कोर्ट ने सरकार के इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया था कि फिलहाल किसी भी तरह की वक्फ संपत्ति को डिनोटिफाइ नहीं किया जाएगा. साथ ही, वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में अभी किसी नए सदस्य को जगह नहीं दी जाएगी. यह आश्वासन सरकार ने तब दिया था जब कोर्ट ने कानून की कुछ धाराओं के अमल पर अंतरिम रोक का संकेत दिया था. गुरुवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि मामले में यथास्थिति बनाए रखी जाएगी.
वक्फ संशोधन एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कहा गया है कि यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला कानून है. वक्फ एक धार्मिक संस्था है. उसके कामकाज में सरकारी दखल गलत है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कानून का बचाव करते हुए उस पर रोक नहीं लगाने की मांग की है. केंद्र ने कहा है कि कोर्ट को कानून पर विचार कर अंतिम फैसला लेना चाहिए. कुछ धाराओं पर रोक लगा देना सही नहीं होगा. वक्फ बाय यूजर के रजिस्ट्रेशन और वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों को जगह देने जैसे प्रावधानों को सरकार ने उचित बताया है.