Suicide In IIT: देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या के मामलों पर केंद्र सरकार ने संसद में जवाब दिया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से दी गई जानकारी के अनुसार, आत्महत्या के पीछे जिन कारणों की पहचान की गई है उनमें पढ़ाई को लेकर तनाव भी एक कारण है. इसके अलावा पारिवारिक और व्यक्तिगत समस्या के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे भी जिम्मेदार हैं.


राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद एल हनुमंथैया ने आईआईटी, एनआईटी और आईआईएम समेत उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर केंद्र से सवाल पूछा था. इसके जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने पिछले 5 सालों में छात्रों की आत्महत्या के आंकड़े पेश किए


संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, साल 2023 में अभी तक आईआईटी और एनआईटी में छात्रों की आत्महत्या के छह मामले दर्ज किए गए हैं. साल 2022 में 16, 2021 में 7, 2020 में 5, 2019 में 16 और 2018 में 11 छात्रों ने आत्महत्या की है.


IIT मुंबई में छात्र ने की थी आत्महत्या
सरकार ने ये जानकारी ऐसे समय में दी है जब कुछ दिन पहले ही आईआईटी मुंबई में एक 18 वर्षीय दलित छात्र की आत्महत्या का मामला सुर्खियों में रहा था. छात्र ने संस्थान स्थित अपने हॉस्टल की सातवीं मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली थी. अहमदाबाद का रहने वाले छात्र ने तीन पहले ही बीटेक कोर्स में दाखिला लिया था. छात्र के परिजनों ने आरोप लगाया था कि उसके साथ संस्थान में जातिगत भेदभाव हो रहा था. हालांकि, संस्थान ने इन आरोपों से इनकार किया था. वहीं, मंत्रालय ने संसद को दी गई जानकारी भी में शिक्षा संस्थानों में आत्महत्या के पीछे भेदभाव को कारण नहीं माना है.


तनाव करने के लिए उपाय
मंत्री ने संसद को बताया कि अकादमिक तनाव को कम करने के लिए संस्थानों की तरफ से कई कदम उठाए गए हैं. इनमें क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण पाठ्यक्रम भी शामिल है. उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) ने 12 क्षेत्रीय भाषाओं में टेक्निकल कोर्स की किताबों का अनुवाद शुरू किया है.


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