Sufi National Seminar: सूफियों की राष्ट्रीय एकीकरण में भूमिका विषय पर आयोजित विषय पर बोलते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मौहम्मद खान ने ऐसे विभाजनकारी तत्वों से दूर रहने की सलाह दी जो दारूल खिलाफा और इस्लाम खतरे में हैं जैसे एजेंडे का समर्थन करते हैं. राज्यपाल ने संविधान में उल्लेखित धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक मूल्यों की प्रंशसा करते हुए सूफियों और खानकाही पंरपरा का राष्ट्रीयएकीकरण और हिन्दू मुस्लिम भाईचारे में भूमिका को भी रेखांकित किया. यह राष्ट्रीय सेमिनार मुंबई और दिल्ली की संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से दिल्ली में आयोजित किया गया था. 


कई सालों बाद भारत भर के सूफी धर्म गुरू देश में बढ़ती चरमपंथ की निंदा करने के लिए एकत्र हुए औऱ इस बात पर अपनी सहमति जताई कि केवल सूफीवाद वह मार्ग है जो देश के सभी धर्मों को जोड़ सकता है और देश में गंगा जमुनी तहजीब और साझा संस्कृति को बढ़ावा दे सकता है. इस सेमिनार में कट्टरपंथी तत्वों को चुनौती देने औऱ भारत में सूफीवाद को बढ़ाने के लिए शपथ ली गई.


इस सेमिनार में देश के विभिन्न हिस्सों के 16 खानकाहों के 150 सूफी संतों ने भाग लिया जिसमें प्रमुख रूप से हाजी अली दरगाह, माहिम दरगाह मुंबई, जमात उल मुसाइख छोटा उदयपुर, मीरादातार मेहसाणा गुजरात, खानकाहे अशरफिया महराजगंज य़ूपी, दरगाह नियाजी जयपुर, खानकाहे वारसिया तेलगांना, कलियर शरीफ उत्तराखंड, खानकाहे चिस्तिया झारखंड और दरगाहे मदारिया बेंगलुरू आदि ने भाग लिया. इसके अलावा इस सम्मेलन में मुस्लिम जगत के अनेक जानेमाने लोगों ने भी भाग लिया.


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