Sudha Murthy Birthday: दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सॉफ्टवेयर कंपनियों में से एक इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति आज (19 अगस्त) अपना 73वां जन्मदिन मना रही हैं. वह खुद इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं. इसके अलावा उनके व्यक्तित्व के बहुत सारे आयाम हैं जिनमें उनको एक इंजीनियर, एक लेखक और समाज सेविका के रूप में जाना जाता है. भारत सरकार ने समाज के प्रति किए गए उनके काम को ध्यान में रखते हुए उनको पद्मश्री से सम्मानित किया है. 


सुधा मूर्ति का जन्म 19 अगस्त 1950 को कर्नाटक के शिगगांव में हुआ. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद हुबली-धारवाड़ स्थित बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी में बीई इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रनिक्स में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की. उनको कर्नाटक के सीएम ने स्वर्ण पदक से सम्मानित किया था क्योंकि उन्होंने पूरे राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया था.


जब लड़कों से बात नहीं करने की शर्त पर मिला था एडमिशन
सुधा मूर्ति अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद इंजीनयरिंग करना चाहती थी लेकिन उनको एडमिशन नहीं दिया गया. जिसके बाद उन्होंने कॉलेज के प्रिंसिपल से रिक्वेस्ट की. इसके बाद प्रिसिंपल ने उनको कॉलेज में हमेशा साड़ी पहनने, कैंटीन में नहीं जाने और कॉलेज में लड़कों से बात नहीं करने की शर्त पर एडमिशन दिया. उस समय 600 लड़कों के कॉलेज में सुधा एकलौती लड़की थी.


'टेल्को में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर'
सुधा मूर्ति टाटा इंजीनयरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर थी. उनकी नियुक्ति के पीछे भी दिलचस्प कहानी है. जिसके मुताबिक जब टेल्को ने अपनी नियुक्ति निकाली तो उसमें लिखा था, 'महिला उम्मीदवार आवेदन नही करें'. इस बात से नाराज होकर उन्होंने उस समय जेआरडी टाटा का खत लिखकर इसका विरोध किया. जिसके बाद उनको टेल्को में नियुक्ति दी गईं. यहीं पर उनकी मुलाकात नारायण मूर्ति से हुई. 




यही वजह है कि इंफोसिस फाउंडेशन के ऑफिस में आज तक टेल्को और जेआरडी टाटा की फोटो लगी हुई है. इसके अलावा सुधा मूर्ति ने इंफोसिस फाउंडेशन की स्थापना के बाद से ही गुजरात भूकंप से लेकर हर बाढ़, आपदा और बाकी सामाजिक आयामों में देश के लोगों की बहुत मदद की है.


'अंग्रेजी-कन्नड़ में लिखी कई किताबें'
सुधा किताबों की शौकीन हैं उन्होंने अंग्रेजी और कन्नड़ भाषाओं में कई किताबें लिखी हैं, जो आम तौर पर उनके वास्तविक जीवन के अनुभवों पर आधारित हैं. उनकी कुछ किताबें में समन्यारल्ली असामानयारू, गुटोंडु हेलुवे, हक्किया तेराडाल्ली, सुकेशिनी मट्टू इतारा मक्कला कथेगलु, हाउ आई ट्रीट माई ग्रैंडमदर टू रीड, द एकोलेड्स गैलोर, डॉलर बहू और थ्री थाउजेंड टांके है.


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