भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच रूस की राजधानी मॉस्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई है. मई महीने से एलएसी पर जारी विवाद के बीच इस अहम बैठक में पांच सूत्रीय सहमति बनी है. इस सहमति पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सवाल उठा दिया है.


सहमति के बारे में जानकारी देते हुए चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्त्री ने ट्वीट किया. मिस्त्री के ट्वीट पर सुब्रमण्यम स्वामी ने जवाब देते हुए कहा, "क्या आप कृपया इस संयुक्त वक्तव्य का सरल अंग्रेजी में अनुवाद कर सकते हैं ताकि मैं यह जान सकूं कि क्या चीनी सैनिक 1993 से या फिर 18 अप्रैल, 2020 से लद्दाख में एलएसी के कब्जे वाले इलाकों से हटने को तैयार हो गए हैं? डिसएंगेजमेंट का मतलब यथास्थिति को बहाल रखना नहीं है.


भारत-चीन के बीच नीति पर कोई बदलाव नहीं

मॉस्को में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह साफ किया कि भारत एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुल कंट्रोल) पर जारी तनाव को और नहीं बढ़ाना चाहता है. वहीं भारत का मानना है कि चीन के लिए भारत की नीति में और भारत के प्रति चीन की नीति में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है.


पड़ोसी देशों के बीच असहमति स्वाभाविक-विदेश मंत्रालय
बता दें कि चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया कि दो पड़ोसी देश होने के नाते सीमा पर चीन और भारत में कुछ मुद्दों पर असहमति तो है लेकिन ये स्वाभाविक है. जरूरी तथ्य ये है कि उन असहमतियों को सुलझाने के लिए सही परिपेक्ष्य में देखा जाना चाहिए.


भारत-चीन के बीच जिन पांच सूत्रीय बिंदुओं पर बनी सहमति

आपसी मतभेदों को विवाद नहीं बनने दिया जाएगा.
दोनों देशों की सेनाएं विवाद वाले क्षेत्रों से पीछे हटें.
तय मैकेनिज्म के अनुसार दोनों देश बातचीत जारी रखें.
मौजूदा संधियों और प्रोटोकॉल्स को दोनों देश मानेंगे.
दोनों देश ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे तनाव बढ़े.


दो घंटे चली विदेश मंत्रियों के बीच बैठक

विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच मॉस्को में बैठक हुई. दोनों नेताओं के बीच रात के करीब आठ बजे कांग्रेस पार्क वोलकोंस्की होटल में बैठक शुरू हुई और करीब साढ़े दस बजे खत्म हुई.