नई दिल्लीः दिल्ली के हिंदू रॉ अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर्स चार महीने से वेतन नहीं मिलने को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. 11 अक्टूबर से हिन्दू रॉ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिशन (आरडीए) ने अनिश्चितकालीन धरने के भी ऐलान कर दिया. सोमवार को अस्पताल के मेडिकल सुपरिडेंट, आरडीए अध्यक्ष और एमसीडी के बीच एक मीटिंग भी हुई जिसके बाद भी कोई हल नही निकल पाया. डॉक्टरों, नर्सेस और स्वास्थ्यकर्मियों की मजबूरी इतनी बढ़ गई कि मंगलवार को ताली थाली बजाकर और सब्जियां बेचते हुए उन्हें अपना प्रदर्शन दर्ज कराना पड़ा.


डॉक्टरों का कहना है कि हमारा प्रोत्साहन करने के लिए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से तालिया बजवाई थी लेकिन आज अपनी मांगे रखने के लिए खुद सड़क पर उतरकर ताली थाली बजानी पड़ रही है. कुछ रेजिडेंट डॉक्टरों ने कहना है कि सब्ज़ियां बेचकर ही वह वेतन कमा पाएंगे.


स्वास्थ्यकर्मियों के लिए किराया देना भी हुआ मुश्किल


इस अस्पताल में काम करने वाली नर्स इंदु का कहना है कि सिर्फ वारियर्स का टैग दिया जा रहा है लेकिन भूखे पेट वारियर्स को छोड़ा हुआ है. चार महीने से हमें सैलरी नहीं मिली है. एमसीडी के लोग ऐसे कैसे अस्पताल चला पाएंगे. नर्स किरण कहती हैं कि बिना वेतन के युद्ध में सेना भी नहीं लड़ती. कोई ऐसी उम्मीद क्यों कर रहा है कि हम मुफ्त में काम करेंगे. रेंट देना भी मुश्किल हो गया है. हमारी वित्तीय हालत बेहद खराब हो गई है.


रेजिडेंट डॉक्टर बानोजी कहते हैं, मैं दक्षिण भारत से हूं. अपने परिवार में एक अकेला कमाने वाला हूं. बहन की पढ़ाई के लिए लोन भी लिया है. यहां किराए पर रहता हूं. मेरे लैंडलॉर्ड ने पैसे नहीं देने पर मुझे निकाल दिया. वेतन के मुद्दे पर कोई जवाबदेही नहीं है. ज्यादातर डॉक्टरों और नर्सों के साथ यही समस्या है.


दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच पीस रहे हैं


आरडीए अध्यक्ष अभिमन्यु कहते हैं, मंगलवार की वार्ता में कहा गया कि अभी फंड नहीं है कि एक साथ चार महीने का वेतन दिया जा सके. एमसीडी को 3 महीने पहले ही दिल्ली सरकार से यह मांग रखनी चाहिए थी. आज जब हम लोग इस स्थिति पर आ गए हैं तो एमसीडी दिल्ली सरकार पर सवाल खड़ा कर रही है. हमें कहा गया है कि एमसीडी एक महीने का ही वेतन दे पाएगी. एक महीने का बैकलॉग एमसीडी की तरफ से हमेशा रहा है. लेकिन इस बार यह चार महीने में तब्दील हो गया. हम दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच गोल-गोल घूम रहे हैं और पिस रहे हैं.


मेयर ने कहा, आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं


उत्तरी नगर निगम के महापौर जय प्रकाश सिंह ने कहा कि पिछले 3-4 महीने से हम बहुत ही ज्यादा आर्थिक संकट से गुज़र रहे हैं. लॉकडाउन के चलते आय के स्त्रोत कम हो गए. जैसे सम्पत्ति टैक्स घट गया, लाइसेंस फीस, कार पार्किंग, विज्ञापन इत्यादि में गिरावट आई. दिल्ली सरकार ने इस साल हमें कुछ नहीं दिया. 2022 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को इस वर्ष साल देना था. हमने जून तक का वेतन सभी डॉक्टरों को दिया है. हमारे सारे कर्मचारी ही वेतन की समस्या से जूझ रहे हैं. सफाई कर्मचारियों को दो महीने का वेतन देना है और टीचर्स को 3 महीने का वेतन देना है.


वेतन रोकने के जिम्मेदार लोगों पर एफआईआर करें उप राज्यपाल


म्यूनिसिपल कारपोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉक्टर मारुति ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों को वेतन न मिलने की समस्या दिल्ली के अन्य एमसीडी में भी है. उप राज्यपाल को इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर एफआईआर दर्ज करना चाहिए. केंद्र सरकार के आदेश के मुताबिक यदि कोविड ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों का वेतन रोका जाता है तो उसे 'Disaster Management Act' के तहत एक जुर्म माना जाएगा. डॉक्टरों का कहना है कि अगर उन्हें वेतन जल्द से जल्द नही दिया जाता तो वह भी हिन्दू राव अस्पताल के डॉक्टरों के साथ धरने में शामिल हो जाएंगे.


त्योहारी सीजन में भारतीय रेलवे चलाएगी 392 फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन, यहां देखें पूरी लिस्ट


कांग्रेस छोड़ने वाली खुशबु सुंदर ने दी पार्टी आलाकमान को सलाह, कहा- अपने बनाए बुलबुले से बाहर निकले गांधी परिवार