संसद में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर चल रही बहस पर अब श्रीनगर से जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह की स्पीच सोशल मीडिया से लेकर तमाम प्लेटफॉर्म पर वायरल है. उन्होंने साफ तौर पर इसे समुदाय विशेष से जोड़कर राष्ट्रीय गीत को वंदे मातरम गाने से इंकार कर दिया.
उन्होंने लोकसभा में कहा, 'वंदे मातरम आप बोलिए, हमें दिक्कत नहीं, हम उसका सम्मान करते हैं. लेकिन गा नहीं सकते. हमें आप जबरदस्ती गाने पर मजबूर नहीं कर सकते हैं.'
उन्होंने अपने भाषण के आखिर में कहा, 'जब कोई सरकार नौकरियों, महंगाई या गवर्नेंस पर सवालों का जवाब नहीं दे पाती, तो वह पहचान की ओर मुड़ जाती है. गाने वफादारी का टेस्ट बन जाते हैं. तोड़फोड़ इंसाफ बन जाती है. मुसलमान हमेशा के लिए संदिग्ध बन जाते हैं.'
'धार्मिक स्वतंत्रता हमारा अधिकार'साथ ही उन्होंने अपने बयान का बचाव करते हुए इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का बचाव करार दिया. साथ ही वंदे मातरम् गीत को अनिवार्य करने के मुद्दे का विरोध किया. उन्होंने कहा कि देशभक्ति को सांस्कृतिक रस्मों के जरिए जबरदस्ती रेगुलेट या वेरिफाई नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि नागरिकों को वंदे मातरम गाने के लिए मजबूर करना, सीधे तौर पर संविधान की तरफ से दी धार्मिक आजादी का उल्लंघन है. इस गीत में भारत माता को देवी के रूप में सम्मान दिया गया है.
'राष्ट्रवाद के नाम पर पूजा की मांग...'उन्होंने कहा कि आप राष्ट्रवाद के नाम पर पूजा की मांग नहीं कर सकते. किसी भी नागरिक को किसी देवता की पूजा करने या किसी गीत के जरिए वफादारी साबित करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि हमारा समुदाय राष्ट्रीय गीत का पूरा सम्मान करते हैं. इसके सम्मान में खड़े होते हैं, लेकिन कोई भी इसे गाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता.
'...मेरा विश्वास नहीं बदल सकता'उन्होंने अपने भाषण में कहा, 'राष्ट्रीयता बदल सकती है. सरकारें आ जा सकती हैं. लेकिन मेरा विश्वास नहीं बदलता. हमने इस देश की आजादी के लिए बाहरी लोगों से लड़ाई लड़ी. अगर जरूरत पड़ी तो हम इस देश के अंदर अपनी आजादी के लिए उन सभी के खिलाफ पूरी जान से लड़ेंगे, जो हमें हमारे संवैधानिक अधिकारों से वंचित करते हैं.'
'वंदेमातरम की बहस बुलडोजर कार्रवाई जैसी'आगा सैयद रूहुल्लाह ने वंदे मातरम की बहस को बुलडोजर कार्रवाई से जोड़ दिया. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने सरकार पर जानबूझकर मुसलमानों को हमेशा बाहरी बनाने, असहमति को बेवफाई बताने और बेरोजगारी-महंगाई के जरूरी मुद्दों से ध्यान हटाने के कल्चरल नेशनलिज्म का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.