Reservation For General Category: सुप्रीम कोर्ट में आज दो अहम मामलों में सुनवाई होनी है और सभी की नजरें इन मामलों पर टिकी रहेंगी. बताया गया है कि सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई जारी रहेगी. मामले में एनजीओ जनहित अभियान समेत 30 से अधिक याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट का रुख कर रखा है. इन याचिकाओं में संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किए जाने को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तय 50 फीसदी तक ही आरक्षण की सीमा के उल्लंघन का भी हवाला इसमें याचिकाकर्ताओं की तरफ से दिया गया है.


2019 से लंबित है यह मामला


5 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपा था. इस मामले में एनजीओ जनहित अभियान समेत 30 से अधिक याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट का रुख किया. इन याचिकाओं में संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किए जाने को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तय 50 फीसदी तक ही आरक्षण की सीमा के उल्लंघन का भी हवाला दिया गया है. इन याचिकाओं में कहा गया है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है. सरकार ने बिना ज़रूरी आंकड़े जुटाए आरक्षण का कानून बना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को 50 फीसदी तक सीमित रखने का फैसला दिया था, इस प्रावधान के ज़रिए उसका भी हनन किया गया है.


केंद्र सरकार की ये है दलील


जनवरी 2019 में केंद्र सरकार ने संसद में 103वां संविधान संशोधन प्रस्ताव पारित करवा कर आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था बनाई थी. मामले में पहले हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने इस आरक्षण का यह कहते हुए बचाव किया था कि :-



  • कुल आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत रखना कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं, सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का फैसला है.

  • तमिलनाडु में 68 फीसदी आरक्षण है. इसे हाई कोर्ट ने मंजूरी दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक नहीं लगाई.

  • आरक्षण का कानून बनाने से पहले संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में ज़रूरी संशोधन किए गए थे.

  • आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके को समानता का दर्जा दिलाने के लिए ये व्यवस्था ज़रूरी है.


हज कमिटी में राजनीतिक नियुक्तियों पर भी सुनवाई


हज कमिटी में राजनीतिक नियुक्तियों के खिलाफ दायर याचिका पर भी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. याचिका में कहा गया है कि हज कमिटी एक्ट के मुताबिक केंद्रीय और राज्य कमिटी में इस्लाम के विशेषज्ञ जानकारों को रखना होता है, लेकिन उसकी जगह सरकार अपने पसंद के लोगों को वहां नियुक्त कर देती है.


ये भी पढ़ें


Money Laundering Case: जैकलीन फर्नांडिस से दूसरे दिन 7 घंटे चली पूछताछ, ये है मामला