2008 Malegaon Blast: मुंबई (Mumbai) के स्पेशल NIA कोर्ट में मालेगांव बम धमाके (Malegaon Blast Case) को लेकर सुनवाई हुई. इस दौरान जज ने मामले में एक जरूरी फोरेंसिक रिपोर्ट जमा नहीं करने और दस्तावेजों को दबाने के लिए एनआईए की खिंचाई की है. दरअसल, आज से 13 साल पहले यानी 2008 में हुए मालेगांव विस्फोट मामले में अभियुक्तों से जुड़े आवाज के सैंपल का विश्लेषण हाल ही में सामने आया जब विश्लेषण करने वाले फोरेंसिक एक्सपर्ट की कोर्ट ने जांच की. 


हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जांच के दौरान एटीएस (ATS) की तरफ से एक 'साजिश बैठक' की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग बरामद की गई थी, जिसे 2009 में फॉरेंसिक साइंसेज लैब, कलिना में एक एक्सपर्ट को भेजा गया था. फोरेंसिक एक्सपर्ट को हाल ही में कोर्ट में गवाह के रूप में पेश किया गया था. विश्लेषण में कहा गया है कि आवाज के नमूने मामले के आरोपियों रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी उर्फ ​​दयानंद पांडे और प्रसाद पुरोहित से मेल खाते हैं जबकि यह विश्लेषण कोर्ट में पेश नहीं किया गया. 


कोर्ट ने NIA से किए कई सवाल 


फोरेंसिक एक्सपर्ट ने यह भी कहा कि इन सभी सालों में कागजात कलिना लैब के पास थे. इस याचिका का एनआईए ने समर्थन किया था लेकिन बचाव पक्ष के वकीलों ने इसका विरोध किया था. वहीं, स्पेशल कोर्ट ने दस्तावेजों को स्वीकार करने की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एनआईए से मामले को लेकर तमाम सवाल किए. कोर्ट ने पूछा कि फोरेंसिक एक्सपर्ट के नौकरी छोड़ने के बाद 2010 से उन दस्तावेजों की देख रेख कौन कर रहा था? उन दस्तावेजों को देर से दाखिल क्यों किया गया? दस्तावेजों को जांच अधिकारी को सौंपने से किसने रोका? कोर्ट ने इस सभी सवालों के जवाब मांगे हैं. 


दबाए जा रहे थे मामले से जुड़े दस्तावेज!


जज ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक गवाह ने इन दस्तावेजों को एफएसएल से एकत्र किया था. इतने सालों बाद इनका मिलना और कोई स्पष्टीकरण न होने का मतलब है कि इन्हें दबाया जा रहा था. उन्होंने यह भी कहा कि इसे न तो चार्जशीट के साथ दायर किया गया था और न ही इसका कोई रिकॉर्ड बना था. 


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