जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए लेह एपेक्स बॉडी (लैब) के कानूनी सलाहकार हाजी गुलाम मुस्तफा ने शुक्रवार (26 सितंबर, 2025) को कहा कि यह कदम केंद्र शासित प्रदेश में सामान्य स्थिति लाने के बजाय स्थिति को और जटिल बनाएगा, क्योंकि वांगचुक एक विश्व-प्रसिद्ध हस्ती हैं, जो अहिंसा में दृढ़ विश्वास रखते हैं.

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गुलाम ने कहा कि एक व्यक्ति की गिरफ्तारी से राज्य का दर्जा और संविधान की छठीं अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने सहित उनकी चार-सूत्रीय मांगों के लिए जारी आंदोलन को रोका नहीं जा सकता, लेकिन उनकी गिरफ्तारी लद्दाख प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच जारी बातचीत में बाधा बन सकती है.

वांगचुक की गिरफ्तारी अविवेकपूर्ण निर्णय 

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मुस्तफा ने ‘पीटीआई’ को बताया, 'हमने वांगचुक की गिरफ्तारी के बारे में भी सुना है, जो सरकार की ओर से लिया गया एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और अविवेकपूर्ण निर्णय है. बुधवार को हुए उपद्रव, जिसमें चार प्रदर्शनकारियों की जान चली गई और 90 अन्य घायल हुए, उसमें मैं उनकी कोई भूमिका नहीं देखता.'

उन्होंने कहा कि वांगचुक की गिरफ्तारी निराधार आरोपों पर की गई है, जो लद्दाख के लोगों को भावनात्मक रूप से आहत कर सकती है और इस गिरफ्तारी को एक बुद्धिमानी भरा फैसला नहीं कहा जा सकता. कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के भी कानूनी सलाहकार मुस्तफा ने कहा, 'वह एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित हस्ती हैं, जो सामाजिक सक्रियता और शिक्षा तथा जलवायु के क्षेत्र में अपने काम के लिए जाने जाते हैं.'

हाजी गुलाम मुस्तफा का सरकार पर आरोप

उन्होंने कहा, 'जब आप उनके कद के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते हैं तो आप लोगों को क्या संदेश दे रहे हैं कि आप किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं.' एलएबी और केडीए पिछले चार वर्षों से अपनी मांगों के समर्थन में संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे हैं. मुस्तफा ने आरोप लगाया कि वांगचुक की गिरफ्तारी उनकी मांगों पर केंद्रित बातचीत को पटरी से उतारने की एक चाल हो सकती है.

एलएबी के ही एक घटक अंजुमन-ए-मोइनुल इस्लाम के उपाध्यक्ष मोहम्मद रमजान ने कहा कि यह गिरफ्तारी दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं और मीडिया के एक खास वर्ग की ओर से चलाए गए व्यवस्थित अभियान का परिणाम है, जिसका उद्देश्य उन्हें बदनाम करना और चुन-चुनकर लोगों पर कार्रवाई करना था.

भारत के संविधान में दृढ़ विश्वास

रमजान ने केंद्र सरकार पर लद्दाख में नेतृत्व को डराने-धमकाने के लिए अन्य जगहों पर अपनाई गई नीतियों के साथ प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, 'वह इसी मिट्टी के बेटे, हमारे नायक, एक ऐसे नेता हैं, जो गांधीवादी जीवन शैली का पालन करते हैं और भारत के संविधान में दृढ़ विश्वास रखते हैं.'

उन्होंने कहा, 'वह भूख हड़तालों और लेह से दिल्ली तक पैदल मार्च के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे. हम सभी उनका अनुसरण करते हैं. ऐसे कदम क्षेत्र में सामान्य स्थिति लाने के बजाय केवल स्थिति को और जटिल करेंगे.'

सरकार के फैसले को लेकर मुस्तफा का सवाल

इससे पहले दिन में एलएबी के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने भी वांगचुक का बचाव किया और कहा कि हाल के दिनों में उनके खिलाफ की गई कार्रवाइयों ने कई सवाल खड़े किए हैं. दोरजे ने संवाददाताओं से सवाल करते हुए कहा, 'वांगचुक लंबे समय से अपना संस्थान चला रहे थे, लेकिन अब जब वह लोगों के अधिकारों के लिए आंदोलन का हिस्सा हैं, ठीक उसी वक्त सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए किसने प्रेरित किया? क्या सरकार को इन चीजो के बारे में पहले जानकारी नहीं थी?'

उन्होंने यह प्रतिक्रिया केंद्र की ओर से वांगचुक की ओर से स्थापित 'स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख' (सेक्मोल) का एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने और उनके एचएआईएल संस्थान को दी गई भूमि की लीज रद्द करने के बारे में पूछे गए सवालों पर दी.

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